रांची:
झारखंड में शराब के कोरोबार के सरकारी नियंत्रण में आने की खबर का राज्य में शराब व्यवसाय से जुड़े लोग विरोध कर रहे हैं। झारखंड बार एवं रेस्त्रां एसोसिएशन का कहना है कि यदि छत्तीसगढ़ मॉडल जारी हो गया तो राज्य के 80% से ज्यादा बार बंद हो जाएंगे। अब झारखंड खुदरा शराब बिक्रेता संघ भी विरोध के मूड में आ गया है। आज संघ के अध्यक्ष अचिंत्य कुमार शॉ ने मीडिया से अपनी समस्याएं साझा कीं। बताया कि संघ की ओर से नई उत्पाद नीति पर विभागीय मंत्री को ज्ञापन दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि हम लोग सरकार को 2300 करोड़ राजस्व देने को तैयार हैं।
उत्पाद मंत्री को सौंपा ज्ञापन
बता दें कि सरकार छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्प लिमिटेड(सीएसएमसीएल) को परामर्शी नियुक्त करना चाहती है। संघ ने कहा कि शराब महंगी होने पर खपत व राजस्व पर पड़ सकता है प्रतिकूल असर पड़ेगा। सीएसएमसीएल काे शराब बिक्री के लिए परामर्शी नियुक्त करने पर विभागीय मंत्री को दिये ज्ञापन में संघ ने कहा है कि सीएसएमसीएल के द्वारा जो भी परामर्श दिए जाएंगे वे उनके राज्य की जनसांख्यिकी, सामाजिक ओर सांस्कृतक संरचना, शराब सेवन की आदत आदि पर आधारित होंगे और इस तरह वे झारखंड के संदर्भ में कहां तक उपयोगी व सार्थक होंगे यह संदेह का विषय है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि सीएसएमसीएल द्वारा गठित समिति के सदस्यों के नाम मुख्य प्रतिवेदन के मुख्य पृष्ट पर हैं। समिति के सदस्यों में सभी छत्तीसगढ़ राज्य के उत्पाद विभाग व सीएसएमसीएल के पदाधिकारी हैं। इसमें झारखंड के उत्पाद विभाग के एक भी पदाधिकारी नहीं हैं। इस समिति ने यह भी कहा है कि शराब के थोक-खुदरा व्यापार को राज्य के अधीन करने से पहले वर्ष में 15 से 20 प्रतिशत तक राजस्व में वृद्धि का अनुमान है। झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने लिखा है कि प्रतिवेदन में समिति द्वारा 2020-21 में प्राप्त उत्पाद राजस्व का आंकड़ा (2053 करोड़) दिया गया है, जो गलत है। संघ ने लिखा है कि 2020-21 में 1811 करोड़ रुपए उत्पाद राजस्व की प्राप्ति हुई थी। इसमें वैट या वाणिजय कर की राशि शामिल नहीं है। वर्ष 2021-22 में कितना उत्पाद राजस्व प्राप्त होगा इसका भी उल्लेख समिति के प्रतिवेदन में नहीं है। समिति ने प्रतिवेदन में कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं किया है कि विभाग द्वारा निर्धारित उत्पाद राजस्व का लक्ष्य 2300 करोड़ की प्राप्ति कैसे होगी। समिति ने भारत द्वारा निर्मित विदेशी शराब व बियर में 10 से 14 प्रतिशत वृद्धि की अनुशंशा की है। इसका प्रतिकूल प्रभाव शराब की खपत व राजस्व पर पड़ सकता है।
संघ ने दिए सुझाव
झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने ज्ञापन के माध्यम से सुझाव दिया है कि वर्तमान में लागू उत्पाद नीति में कोई संशोधन किए बिना वर्ष 2022-23 के लिए 2300 करोड़ लक्ष्य निर्धारित किया जाए व उसके आधार पर विभिन्न प्रकार की अनुज्ञप्तियों के अनुज्ञा शुल्क में यथोचित वृद्धि करते हुए न्यूनतम प्रत्याभूत उत्पाद राजस्व निर्धारित किया जाए व उसी के आधार पर वर्ष 2022-23 के लिए दुकानों की बंदोबस्ती निजी व्यक्तियों, फर्माें, कंपनियों के साथ की जाए। संघ ने आश्वस्त किया कि 2300 करोड़ रुपए उत्पाद राज्स्व की प्राप्ति हो सकती है।