द फॉलोअप डेस्क
बिहार के मुंगेर जिले के असरगंज प्रखंड में मनरेगा योजना में गंभीर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यहां चौरगांव पंचायत में एक नाबालिग छात्र का जॉब कार्ड बना दिया गया, जबकि उसकी उम्र 18 वर्ष भी पूरी नहीं हुई है। यही नहीं, छात्र के संपन्न परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर भी अलग-अलग जॉब कार्ड जारी किए गए हैं।
मनरेगा पोर्टल (एमएसआई) से इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि संबंधित परिवार के पास आलीशान मकान, कृषि भूमि, व्यवसाय और महंगी कारें हैं, फिर भी उन्हें श्रमिक के रूप में लाभ दिया गया। हैरानी की बात यह है कि छात्र की उम्र जनवरी 2025 में मात्र 17 वर्ष 4 माह थी, जबकि नियम के अनुसार जॉब कार्ड के लिए उम्र का सत्यापन अनिवार्य है।
सूत्रों के अनुसार जॉब कार्ड इसी वर्ष जनवरी में बनाए गए और फरवरी में कार्य की डिमांड भी लगा दी गई। वहीं, यह भी सवाल उठ रहा है कि छात्र के किस बैंक खाते को योजना से जोड़ा गया, क्योंकि वह अभी शिक्षा विभाग की योजनाओं से लाभान्वित हो रहा है।
नियमों के मुताबिक, जॉब कार्ड बनाने के लिए लिखित आवेदन, स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा सत्यापन और फिर कार्यक्रम पदाधिकारी की स्वीकृति आवश्यक होती है। इसके बावजूद इस मामले में प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई।
डीडीसी अजीत कुमार सिंह ने मामले को गंभीर बताते हुए जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है। यह मामला न केवल सिस्टम की खामियों को उजागर करता है बल्कि योजनाओं में पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।