द फॉलोअप डेस्क
बिहार सरकार ने 16वें वित्त आयोग के सामने अपनी कई अहम मांगों की सूची रखी है। इनमें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने और तत्काल वित्तीय सहायता के रूप में 1 लाख करोड़ रुपये के अनुदान की मांग प्रमुख है। इसके अलावा बिहार ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की भी मांग की है। मालूम हो कि आयोग के सदस्य 3 दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। साथ ही पटना में आयोजित आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए।
इस दौरान बिहार सरकार ने वित्त आयोग से यह भी आग्रह किया कि टैक्स के बंटवारे में बहुआयामी गरीबी सूचकांक को एक मानक के तौर पर शामिल किया जाए। पटना में आयोजित बैठक में आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने बताया कि बिहार ने विशेष राज्य का दर्जा भी मांगा है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह विचार करने योग्य प्रश्न नहीं है।राज्य में वित्त आयोग का आना, खुशी की बात- सीएम
बता दें कि इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में वित्त आयोग का आगमन एक बहुत ही खुशी की बात है। उन्होंने आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और अन्य सभी सदस्यों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि बिहार को इनसे काफी सहयोग मिलेगा। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि यह गर्व की बात है कि अरविंद पनगढ़िया नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर के कुलाधिपति हैं। इस वजह से उन्हें बिहार की सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि की अच्छी जानकारी है।बिहार ने वित्त आयोग के सामने रखी ये प्रमुख मांगें:
- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले।
- केंद्रीय करों में राज्यों के शेयर को 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए।
- सेस और सरचार्ज को विभाज्य पूल में शामिल किया जाए।
- राज्यों के बीच केंद्रीय करों के शेयर बंटवारे में बहुआयामी गरीबी सूचकांक को आधार बनाया जाए।
- जनसंख्या घनत्व को संसाधन हस्तांतरण के फॉर्मूले में प्राथमिकता दी जाए।
- विभिन्न क्षेत्रों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता के रूप में 1,00,079 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाए।