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सीतामढ़ी में स्ट्रॉबेरी की खेती से बढ़ी किसानों की आय, हाई डिमांड से हो रहा दोगुना मुनाफा

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द फॉलोअप डेस्क
बिहार के सीतामढ़ी में किसानों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हो रही है। इसका मुख्य कारण बन रही है स्ट्रॉबेरी की खेती। बाजार में इसकी भारी मांग के चलते अब यहां के किसान बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। बताया गया कि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए किसी विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। बताया जा रहा है कि स्ट्रॉबेरी की खेती सीतामढ़ी के किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो रहा है। यह न केवल उनकी आय को बढ़ा रही है, बल्कि इस खेती को एक नई दिशा भी दे रही है।

किसानों के जीवन में घोली मीठी खुशबू
मिली जानकारी के अनुसार, सीतामढ़ी जिले के बथनाहा प्रखंड का मझौरा गांव अब स्ट्रॉबेरी की खेती का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। इस गांव के किसान पूरे जोश के साथ स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। उन्हें इस खेती से अच्छा खासा लाभ भी मिल रहा है। ठंडे प्रदेशों में उगने वाली इस स्ट्रॉबेरी ने किसानों के जीवन में एक मीठी खुशबू घोल दी है। यहां के कुछ किसानों ने शुरू में इसे ट्रायल के रूप में उगाया, लेकिन अब उनकी आय में वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में यह किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय बन चुका है।खेत तक पहुंच रहे व्यापारी
बता दें कि कृषि विभाग और आत्मा परियोजना से मिल रहा सहयोग भी इन किसानों के लिए एक बड़ा सहारा साबित हो रहा है। नवंबर से मार्च तक की अवधि में होने वाली इस खेती से किसान अपनी आमदनी को दोगुना कर रहे हैं। खास बात यह है कि स्ट्रॉबेरी का बाजार मूल्य 400 से 500 रुपये प्रति किलो तक है। इसकी इतनी अधिक मांग है कि व्यापारी खेतों तक पहुंचकर स्ट्रॉबेरी खरीदने आ जाते हैं। 

कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक
हालांकि, स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। इसके पौधों को मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी बुआई सितंबर से अक्टूबर तक की जाती है। सबसे पहले किसानों को मिट्टी को अच्छी तरह से तैयारी करना होता है। इसके बाद उसमें गोबर या कंपोस्ट की खाद मिलानी होती है। इसके बाद बीजों को उचित गहराई और दूरी पर बोने की प्रक्रिया अपनानी होती है। पौधों को नियमित पानी देना होता है, लेकिन ध्यान रहे कि मिट्टी ज्यादा गीली न हो। इसके साथ ही खरपतवार की सफाई और मिट्टी को नियमित रूप से जोतना भी बेहद जरूरी है। 

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