द फॉलोअप डेस्क
उत्तर प्रदेश के आगरा से एक विशेष और चर्चा में आने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक परिवार ने अपनी 13 साल की बेटी राखी को जूना अखाड़े को दान कर दिया है। अब राखी को साध्वी गौरी के रूप में जाना जाएगा। यह घटना आगामी प्रयागराज महाकुंभ के दौरान हुई है, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। 19 जनवरी को राखी का पिंडदान किया जाएगा, जिसके बाद वह पूरी तरह से साध्वी बन जाएंगी और अपने परिवार से नाता तोड़ लेंगी।
राखी के माता-पिता, संदीप सिंह और रीमा, ने अपनी बेटी के इस निर्णय को स्वीकार किया है। संदीप एक व्यापारी हैं और रीमा गृहणी हैं। उनका परिवार पिछले चार साल से गुरु की सेवा से जुड़ा हुआ था, और इसी दौरान राखी ने साध्वी बनने की इच्छा जाहिर की। महाकुंभ में शिविर में भाग लेते हुए, राखी ने अपने परिवार से यह इच्छा व्यक्त की। हालांकि परिवार के अन्य सदस्य और गुरु ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन राखी की इच्छा अडिग रही। अंततः गुरु महंत कौशल गिरि ने उसे जूना अखाड़े में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की।
अब राखी का नाम बदलकर गौरी रखा जाएगा, और वह पूरी तरह से धार्मिक जीवन जीने के लिए अपने परिवार से अलग हो जाएंगी। उनका शारीरिक और मानसिक रूप से एक नए जीवन की शुरुआत होगी। 19 जनवरी को उनके पिंडदान और अन्य धार्मिक संस्कार पूरे होंगे, और इसके बाद राखी का संबंध अपने परिवार से हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा। राखी एक मेधावी छात्रा रही हैं, और हमेशा अपनी कक्षा में अव्व ल आती रही हैं। साथ ही, उन्हें धार्मिक कार्यों में भी गहरी रुचि थी। यह घटना धार्मिक विश्वासों और परिवार के बीच के रिश्तों की जटिलताओं को उजागर करती है, और यह परिवार के लिए एक अहम मोड़ है।