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मिसेज इंडिया बनी बिहार में प्रोफेसर, छात्रों के बीच हो रही है नाम की चर्चा 

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द फॉलोअप डेस्क 

बिहार में हमेशा कुछ न कुछ अनोखी और रोचक घटनाएं घटित होती रहती हैं, जिनकी चर्चा देश भर में होती है। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
अगर हम आपसे यह सवाल करें कि अगर आप एक महिला हैं और आपने मिस इंडिया का खिताब जीता है, तो आपके अगले लक्ष्य क्या होंगे, तो आमतौर पर लोग कहेंगे कि मॉडलिंग या बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाना। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि मिस इंडिया का खिताब जीतने के बाद आप टीचिंग लाइन में आ जाएं, तो आप शायद सोचेंगे कि यह कैसे संभव हो सकता है? लेकिन ऐसा हुआ है, और इसने सभी को चौंका दिया है।
दरअसल, मिसेज इंडिया की एक विजेता महिला का चयन बिहार के एक विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर किया गया है। उनका चयन बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा किया गया है, और इसके बाद से उनका नाम चर्चा में आ गया है।
कौन हैं डॉ. रोहिणी
यह महिला प्रोफेसर का नाम है डॉ. रोहिणी, जिन्होंने 2023 में गोवा में आयोजित मिसेज इंडिया प्रतियोगिता में विजेता का ताज पहना था। हालांकि, वह वियतनाम में आयोजित मिसेज वर्ल्ड प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए चयनित थीं, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से वह प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकीं।
अब, डॉ. रोहिणी का चयन बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा किया गया है। आयोग द्वारा जारी मेधा सूची में डॉ. रोहिणी ने 17वां स्थान प्राप्त किया है, और उन्हें भोजपुर के आरा स्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया है। यह सूची में उनका स्थान दूसरा है। यहां वह अंग्रेजी विषय में पढ़ाएंगी।
डॉ. रोहिणी सहरसा जिले के चैनपुर की रहने वाली हैं, और उनके पति रमेश झा एक अधिवक्ता हैं। डॉ. रोहिणी ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से वर्ष 2018 में पीएचडी की है, जबकि अपनी स्नातक डिग्री उन्होंने एचडी जैन कॉलेज से प्राप्त की थी।
इसके अलावा, डॉ. रोहिणी ने पटना विश्वविद्यालय अंतर्गत बीएन कॉलेज में बतौर अतिथि शिक्षक भी अपनी सेवा दी है। उन्होंने बिहार की विभिन्न संस्कृतियों में मिथिला, भोजपुरी और मगधी को श्रेष्ठ बताया और इसे बढ़ावा दिया।
यह कहानी न केवल एक महिला की सफलता की कहानी है, बल्कि यह यह भी दिखाती है कि हमारे समाज में महिलाओं के लिए कई रास्ते खुले हैं, और वे अपनी मेहनत और समर्पण से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं। डॉ. रोहिणी की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि एक मिसेज इंडिया का खिताब जीतने के बाद भी कोई महिला शिक्षिका बन सकती है और समाज में एक नई दिशा दे सकती है।
 

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