द फॉलोअप डेस्क
बिहार की राजधानी पटना में गंगा जल को प्रदूषित करने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में 2 कंपनियों एमएस तोशिबा वाटर सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड और ईएनएस इंफ्राकॉन के खिलाफ कदमकुआं थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह कदम नमामि गंगे योजना के तहत सैदपुर STP (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) के संचालन में हुई लापरवाही को लेकर उठाया गया है। यह कार्रवाई बुडको के एमडी अनिमेष कुमार पराशर ने की है, क्योंकि सैदपुर एसटीपी का संचालन और रखरखाव इन दोनों कंपनियों की जिम्मेदारी थी।
क्या है मामला
बता दें कि पिछले साल 28 दिसंबर को एनएमजीसी की टीम ने सैदपुर एसटीपी का निरीक्षण किया था। इसमें पाया गया कि दोनों कंपनियां सीवेज वाटर का उपचार मानक के अनुसार नहीं कर रही थीं। नतीजतन, बिना उपचार के दूषित पानी नालों के जरिए गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा था। इस गंभीर लापरवाही के कारण बुडको एमडी ने दोषी कंपनियों के खिलाफ धारा 277, 290, 425, 426 और 511 के तहत केस दर्ज करने का निर्देश दिया था। अब कदमकुआं थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
क्या था परियोजना का उद्देश्य
जानकारी हो कि नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत गंगा जल की शुद्धता सुनिश्चित करने का उद्देश्य था। इसे दोनों एजेंसियों ने गंभीरता से नजरअंदाज किया। अब इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन कंपनियों पर जुर्माना लगाया है। सैदपुर एसटीपी पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक करोड़ 9 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना 1 मार्च को घोषित किया गया था।
वहीं, सैदपुर एसटीपी की क्षमता प्रतिदिन 60 मिलियन लीटर सीवेज उपचार करने की थी। लेकिन मानक के अनुसार उपचार न होने के कारण गंगा जल में टोटल कॉलिफॉम और फीकल कॉलिफॉम जैसे खतरनाक बैक्टीरिया की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही थी। करोड़ों रुपये की इस परियोजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा था। गंगा जल की सफाई के प्रयासों को गंभीर धक्का लग रहा था।