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सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन के कारण MLC से लेकर शिक्षकों तक का अटका वेतन, जानिए कितना लग सकता है समय 

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द फॉलोअप डेस्क 

बिहार में वित्तीय संकट का माहौल बना हुआ है, क्योंकि 20 दिनों से सरकारी वेतन और बिल के भुगतान का काम अटका हुआ है। वित्त विभाग ने हाल ही में व्यापक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (CFMS) का अपग्रेडेड वर्जन CFMS 2.0 लागू किया था, लेकिन इसके चलते कई विभागों में वेतन डिमांड और ठेकेदारों के बिल भुगतान की प्रक्रिया रुक गई है। इसके परिणामस्वरूप बिहार विधान परिषद के विधान पार्षद से लेकर कई जिलों में शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पाया है।
सरकार के लिए राहत की बात यह है कि 2 जनवरी तक आए बिल का भुगतान हो चुका है, जिससे इस महीने अधिकांश कर्मचारियों को समय पर सैलरी मिल गई। हालांकि, फरवरी तक अगर सिस्टम ठीक नहीं हुआ तो वेतन और बिल भुगतान में कोहराम मच सकता है।
CFMS 2.0 सिस्टम को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) संचालित कर रही है। TCS के सूत्रों का कहना है कि लगभग 2000 से 3000 करोड़ रुपये का भुगतान फंसा हुआ है, जबकि विभागीय सूत्रों का दावा है कि 20 हजार करोड़ से अधिक का पेमेंट अटका हुआ है। असल में, TCS ने CFMS 2.0 वर्जन को लागू करने की कोशिश की थी, क्योंकि इसका करार सरकार से हो चुका था। लेकिन इस नए वर्जन के लागू होने के बाद पुराने बिल और लेन-देन सिस्टम से गायब हो गए थे, जिसके कारण वित्त विभाग ने TCS को 1.0 वर्जन पर लौटने को कहा था।
सरकार में शामिल एक पार्टी के विधायक ने बताया कि उन्हें हर महीने की 1 से 3 तारीख के बीच वेतन मिल जाता था, लेकिन इस बार उन्हें अभी तक वेतन नहीं मिला। यहां तक कि विधान परिषद के सभापति तक को भी वेतन नहीं मिला है। जिन शिक्षकों और विभागों ने 3 जनवरी को वेतन भुगतान का बिल दिया था, उनका भुगतान भी रुका है। ठेकेदार और वेंडर्स भी अपने बिल के भुगतान के लिए परेशान हो रहे हैं।
वित्त विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि यह सभी समस्याएं CFMS 2.0 वर्जन के लागू होने के बाद आई हैं। 2019 में भी इसी वर्जन को लागू करने की कोशिश की गई थी, लेकिन तब भी इसी तरह की समस्याएं सामने आई थीं। इसके बाद विभाग ने टीसीएस को 1.0 वर्जन पर लौटने को कहा था और 2.0 वर्जन में आई गड़बड़ी को सुधारने में वक्त लगा था।
अपर मुख्य सचिव रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि TCS को CFMS 2.0 को लागू करने के लिए जल्दबाजी करनी पड़ी क्योंकि उसका बिल फंसा हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि वित्त विभाग को इस तरह के वित्तीय प्रबंधन के रिस्क से बचना चाहिए था, खासकर वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही में जब बिलों की बाढ़ आती है।
फिलहाल, वित्त विभाग और TCS के बीच समस्याओं के समाधान के लिए बातचीत जारी है, लेकिन अगर जल्द ही सिस्टम दुरुस्त नहीं हुआ, तो बिहार में वेतन और बिल भुगतान के मुद्दे पर और अधिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

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