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सुप्रीम कोर्ट : बिहार में जातीय गणना फिलहाल जारी रहेगी , 14 अगस्त को सुनवाई 

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द फॉलोअप टीम:

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के जाति-आधारित सर्वेक्षण को बरकरार रखने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है। याचिका एनजीओ 'एक सोच एक प्रयास' की ओर से दायर की गई थी। अब 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी। पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। हाईकोर्ट के फैसले के चंद घंटे के बाद ही सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था। सरकार ने सभी डीएम को आदेश दिया है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार जाति आधारित गणना 2022 के रुके काम को फिर से शुरू किया जाए।

हाईकोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती

हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए एनजीओ 'एक सोच एक प्रयास' की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। नालंदा के रहने वाले अखिलेश कुमार ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि किसी भी राज्य सरकार को जातीय जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। बिहार सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है, वो संवैधानिक नहीं है। संविधान के अनुसार केवल केंद्र सरकार को जनगणना का अधिकार है। याचिकाकर्ता के वकील वरुण कुमार सिन्हा की ओर से दायर याचिका के अनुसार राज्य और केंद्र सरकार के बीच शक्तियों का बंटवारा स्पष्ट है। कौन क्या करेगा, कौन क्या नहीं करेगा।

500 करोड़ खर्च करने की योजना

राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुसार बिहार सरकार जातीय गणना नहीं, सिर्फ सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी लेना चाहती है। जिससे उनकी बेहतरी के लिए योजना बनाई जा सके। सरकार उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए एक ग्राफ तैयार कर सके। पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार का यह काम नियम संगत है। पूरी तरह से वैध भी। राज्य सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को 'वैध' करार दिया था। बिहार सरकार ने भी इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना भी बनाई है।