पटना
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और चुनावी तापमान तेजी से चढ़ रहा है। इसी सियासी हलचल के बीच आज दिल्ली में बिहार की दो प्रमुख पार्टियों—राजद और कांग्रेस—के बीच कई घंटों तक बैठक चली। यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हुई, जिसमंच दोनों दलों के शीर्ष नेता मौजूद थे। राजद की ओर से तेजस्वी यादव, राज्यसभा सांसद मनोज झा और संजय यादव बैठक में शामिल हुए, जबकि कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी, अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और प्रभारी कृष्णा अल्लावरु मौजूद थे।
बैठक का मुख्य एजेंडा था—आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए को हराने के लिए साझा रणनीति बनाना और सीटों के बंटवारे को लेकर गंभीर मंथन करना। हालांकि, बैठक के बाद जो खबरें सामने आईं, उनसे ऐसा प्रतीत होता है कि तेजस्वी यादव को झटका लगा है। नतीजतन, उन्होंने अपने पूर्व बयान से पीछे हटते हुए यू-टर्न ले लिया।
दरअसल, 8 अप्रैल को एक कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी यादव ने खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। मुसहर भुइयां समुदाय के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था—"आपका बेटा तेजस्वी यादव बिहार का मुख्यमंत्री बनता है, तो जो लोग नाले के किनारे बसे हैं, उन्हें पक्का मकान दिया जाएगा।" इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई थी।
लेकिन दिल्ली में कांग्रेस के साथ हुई बैठक के बाद तेजस्वी के तेवर बदले-बदले नजर आ रहे हैं। अब उन्होंने कहा है कि महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा आपसी बातचीत और सहमति से तय किया जाएगा।
गौरतलब है कि 17 अप्रैल को पटना में महागठबंधन दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें राजद, कांग्रेस, भाकपा (माले) और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी शामिल होंगी। इस बैठक पर सभी की निगाहें टिकी हैं क्योंकि विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर सभी दलों की सहमति अनिवार्य है।