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बिहार के विश्वविद्यालयों में अनावश्यक हस्तक्षेप संबंधी समस्याओं का हो तुरंत समाधान : याज्ञवल्क्य शुक्ल 

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रांची
अभाविप के दक्षिण बिहार प्रांत के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल के नेतृत्व में रविवार को बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से भेंट कर एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के जरिये राज्यपाल से मांग की गयी कि शिक्षा विभाग, बिहार सरकार ने एक पत्र के जरिये राज्य के विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में असैनिक निर्माण कार्य/जीर्णोद्धार एवं अन्य विकासात्मक कार्यों की स्वीकृति या क्रियान्वयन के लिए समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है, जो कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम तथा इसके विभिन्न नियमों और परिनियमों का उल्लंघन करता है। इसे लेकर याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि शिक्षा विभाग का यह निर्देश राज्य में अवस्थित विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों के स्वायत्ता का हनन करता है। इस निर्देश के क्रियान्वयन से बिहार की उच्च शिक्षा राज्य सरकार और नौकरशाहों के हाथों की कठपुतली बन कर रह जायेगी। बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 के धारा 12A(3) के अनुसार विश्वविद्यालय के वैसे सभी प्रस्ताव जो वित्तीय निहितार्थ है, उनमें राज्यपाल सह कुलाधिपति द्वारा नियुक्त वित्तीय परामर्शी का परामर्श अनिवार्य है। परंतु, इस पत्र में वर्णित समिति में वित्तीय परामर्शी को कोई स्थान नहीं दिया गया है। वित्तीय परामर्शी के लिखित परामर्श के बिना विभिन्न वित्तीय प्रस्तावों का क्रियान्वयन कर राज्य सरकार विश्वविद्यालय के विभिन्न पदाधिकारियों को कानून विरुद्ध काम करने का दवाब बना रही है। 


इस पत्र के माध्यम से समिति की संरचना इस तरीके से की गई है कि इसके द्वारा वरिष्ठता के सिद्धांत को तार-तार किया जा सके। समिति के गठन के लिए ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि कनिष्ठ अधिकारी उस समिति की अध्यक्षता करेंगे जिसमें उनसे वरिष्ठ अधिकारी उस समिति के सदस्य होंगे। संलग्न पत्र के क्रमांक 1(क) के अनुसार शिक्षा सचिव, जो कि कुलपति से बहुत ही कनिष्ठ अधिकारी हैं वो विश्वविद्यालय स्तर की कमिटी की अध्यक्षता करेंगे जिसके सदस्य कुलपति होंगे। इसकी पुनरावृत्ति संलग्न पत्र के क्रमांक 1(ग) में भी देखने को मिलती है जहां महाविद्यालय स्तर की समिति की अध्यक्षता संबंधित जिलाधिकारी के द्वारा की जाएगी जिसके सदस्य उस महाविद्यालय के प्राचार्य होंगे जो कि वस्तुतः जिलाधिकारी से पद में वरिष्ठ होते हैं। श्री शुक्ल ने राज्यपाल से इस विषय पर जल्द से जल्द संज्ञान लेकर राज्य सरकार को उचित निर्देश देने की मांग की। 

वहीं, प्रदेश मंत्री नीतीश पटेल ने कहा कि शिक्षा विभाग के इस पत्र से पद की वरीयता में जिला शिक्षा पदाधिकारी से उच्च पदस्थ महाविद्यालय के प्राचार्य को अपनी सभी प्रस्तावों को जिला शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने से भी प्राचार्य के पद की गरिमा के विखंडन होने का संशय बना हुआ है। दक्षिण बिहार प्रांत के प्रदेश मंत्री सह केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य नीतीश पटेल, प्रांत संगठन मंत्री रौशन सिंह, प्रांत सह मंत्री समृद्धि सिंह राठौर एवं निधि कुमारी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विक्की आनंद, पटना विभाग संयोजक रौशन शर्मा, तथा राज पांडे, मंतोष कुमार सुमन और हैप्पी आनंद उपस्थित रहे।


 

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