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बात पते की : 153 साल का हुआ अपना पोस्टकार्ड, जानें अब तक का सफर

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डेस्क:
अपना पोस्टकार्ड (Postcard) 1 अक्टूबर यानि आज 153 साल का हो गया (turned 153 years old) है। इस हाईटेक मीडिया के दौर ने नयी पीढ़ी को पोस्टकार्ड से मिलने का मौका ही नहीं दिया। लेकिन पुरानी पीढ़ी के लोगों में आज भी इसका एक अलग महत्व है। पुराने समय में शादी-ब्याह, शुभकामनाओं से लेकर मौत की खबरों तक को इन पोस्टकार्डों ने सहेजा है।

1869 को आस्ट्रिया में पहली बार जारी हुआ था पोस्टकार्ड
दुनिया में पहला पोस्टकार्ड एक अक्तूबर 1869 को आस्ट्रिया में जारी किया गया था। वह बताते हैं कि पोस्टकार्ड का विचार सबसे पहले आस्ट्रियाई प्रतिनिधि कोल्बेंस्टीनर के दिमाग में आया था। जिन्होंने इसके बारे में वीनर न्योस्टॉ में सैन्य अकादमी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. मैनुएल हर्मेन को बताया। उन्होंने 26 जनवरी 1869 को एक अखबार में इसके बारे में लेख लिखा। जिसके बाद आस्ट्रिया के डाक मंत्रालय ने इस विचार पर बहुत तेजी से काम किया और पोस्टकार्ड की पहली प्रति एक अक्तूबर 1869 में जारी की गई। दुनिया के प्रथम पोस्टकार्ड का रंग पीला था। आकार 122 मिलीमीटर लंबा और 85 मिलीमीटर चौड़ा था। इसके एक तरफ पता लिखने के लिए जगह छोड़ी गई थी, जबकि दूसरी तरफ संदेश लिखने के लिए खाली जगह छोड़ी गई। भारत में पहला पोस्टकार्ड 1879 में हल्के भूरे रंग में जारी हुआ।

पहले पोस्टकार्ड की कीमत थी तीन पैसे
पहले पोस्टकार्ड की कीमत तीन पैसे थी और इस कार्ड पर ईस्ट इंडिया पोस्टकार्ड छपा था। बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राजचिह्न मुद्रित था और ऊपर की तरफ दाएं कोने मे लाल-भूरे रंग में छपी ताज पहने रानी विक्टोरिया की मुखाकृति थी। निदेशक ने बताया कि पोस्टकार्ड चार प्रकार के होते हैं। मेघदूत पोस्टकार्ड, सामान्य, प्रिंटेड और कम्पटीशन पोस्टकार्ड। ये क्रमश: 25 पैसे, 50 पैसे, छह रुपये और 10 रुपये में उपलब्ध हैं। इन चारों पोस्टकार्ड की लंबाई 14 सेंटीमीटर और चौड़ाई नौ सेंटीमीटर होती है।