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गिरिडीह : शिक्षा मंत्री के दौरे के दिन भी मैन्यू के हिसाब से नहीं मिला खाना, मिड-डे-मील में सब्जी की जगह चोखा

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गिरिडीह: 

यहां स्कूल के बरामदे में यूनिफॉर्म पहने बच्चे कतार में बैठे हैं। इनके बीच में नीला और सफेद कुर्ता पायजामा पहने राज्य के शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो बैठे हैं। सबके सामने प्लेटें रखी हैं। वक्त दोपहर के भोजन का है। 2 रसोइया सबके प्लेट में खाना परोसती हैं। भात, दाल और चोखा बारी-बारी से बच्चों और बच्चों के बीच बैठे शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो को परोसा जाता है। सब लोग खाना शुरू करते हैं। बीच-बीच में शिक्षा मंत्री बच्चों से बातचीत भी करते हैं। सुखद नजारा है, लेकिन इस पूरी तस्वीर में एक दिक्कत भी है। दरअसल, मिड-डे-मील के मैन्यू में गुरुवार को हरी सब्जी दी जानी थी लेकिन यहां दाल भात के साथ चोखा परोसा गया है।

 

वीडियो सामने आते ही लोगों ने पूछे सवाल
इस वीडियो के सामने आते ही कई लोगों ने सवाल उठाया। कहा कि जब गुरुवार को मैन्यू में हरी सब्जी देना तय किया गया है तो फिर चोखा क्यों बना है। कुछ लोगों ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब शिक्षा मंत्री के दौरे के दिन भी मैन्यू का पालन नहीं किया गया तो बाकी दिन क्या होता होगा। यही सवाल, विधानसभा के मानसून सत्र में भाग लेने पहुंचे शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो से भी पूछा गया। पत्रकारों ने पूछा कि बच्चों को मैन्यू के मुताबिक खाना क्यों नहीं मिला। हरी सब्जी की जगह चोखा क्यों परोसा गया। आगे बढ़ें। इससे पहले शिक्षा मंत्री ने क्या कहा वो सुन लीजिए। शिक्षा मंत्री ने कहा कि मानता हूं कि सब्जी नहीं बनी थी लेकिन चोखा भी बहुत स्वादिष्ट था। मैंने बच्चों के साथ खाना खाया। आगे और भी स्कूलों में जाऊंगा। 

शिक्षा मंत्री ने कहा-बहुत स्वादिष्ट था चोखा
तो शिक्षा मंत्री को चोखा स्वादिष्ट लगा। शिक्षा मंत्री ही क्यों। झारखंड के गांव जवार से आने वाले हर आदमी को चोखा अच्छा ही लगता है। दिक्कत इस बात की है कि मिड-डे-मील का उद्देश्य बच्चों को स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि पोषण से युक्त भोजन उपलब्ध कराना है। झारखंड में कुपोषण की समस्या वैसे भी काफी गंभीर है। गुरुवार को मैन्यू में हरी सब्जी देना था लेकिन चोखा दिया गया। पहली नजर में तो ये स्कूल प्रबंधन समिति की गलती लगती है लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। 

झारखंड में मध्याह्न भोजन योजना में दिक्कत
हिंदी समाचार वेबसाइट एबीपी न्यूज में 18 जुलाई 2022 को "झारखंड के 33 लाख स्कूली बच्चों पर निवाले का संकट, 18 दिनों से उधार पर चल रही है मिड-डे-मील स्कीम" नाम की हेडलाइन से छपी रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्कूलों को जुलाई महीने में भोजन पकाने के लिए जरूरी सामान की खरीद के लिए राशि उपलब्ध नहीं कराई गयी है। यानी, कुकिंग कॉस्ट सहित, तेल,दाल, सब्जी और मसाले की खरीदने के लिए मद में पैसा भेजा ही नहीं गया। हालांकि, अप्रैल से जून तक का पैसा भेजा गया था। विभाग की तरफ से स्कूलों को कहा गया था कि जुलाई अगस्त का पैसा भेजा जायेगा लेकिन जुलाई खत्म होने को है। 

इस रिपोर्ट के मुताबिक कई सरकारी स्कूलों ने बताया कि जुलाई के मद में पैसा नहीं आने की वजह से मिड-डे-मील स्कीम उधारी पर चल रही है। चावल तो सरकार देती है लेकिन दाल, तेल, सब्जी और मसाला दुकानदारों से उधार में लेना पड़ता है। उधार में सामान मिल जायेगा, इसकी भी गारंटी नहीं है। ऐसे में सब्जी की जगह चोखा लाजिमी है। शायद यही वजह है कि शिक्षा मंत्री ने नाराजगी नहीं जताई। कहा कि चोखा स्वादिष्ट था। हमने रसोइयों को प्रोत्साहित भी किया। 

क्या केंद्र सरकार से नहीं मिली पर्याप्त राशि! 
अब इस तस्वीर के तीसरे पहलू पर भी आते हैं। मिड-डे-मील स्कीम में 60 फीसदी पैसा केंद्र सरकार खर्च करती है और 40 फीसदी राज्य सरकार। मौजूदा हेमंत सरकार ने सप्ताह में पांच दिन फल और अंडा देना अनिवार्य किया तो इस मद में अतिरिक्त 400 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया। झारखंड में पहली से पांचवीं तक के 21 लाख और छठी से आठवीं तक के 12 लाख छात्र-छात्राओं को मिड-डे-मील स्कीम के तहत भोजन उपलब्ध कराया जाता है। मिड-डे-मील के लिए सरकार चावल देती है और दाल, तेल, मसाला और नमक खरीदने के लिए पैसा देती है। पहली से पांचवीं तक कुकिंग कॉस्ट 4 रुपये 95 पैसे है वहीं छठी से आठवीं तक ये 7 रुपये 45 पैसे है।

शिक्षा सचिव ने जल्द सुधार की बात कही थी
एबीपी न्यूज में छपी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के शिक्षा सचिव राजेश शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार मिड-डे-मील स्कीम के मद में सालाना तकरीब 700 करोड़ रुपये उपलब्ध कराती है लेकिन मौजूदा सत्र में ये राशि उपलब्ध नहीं कराई गई जिसकी वजह से परेशानी हो रही है। शिक्षा विभाग का कहना है कि जल्दी ही इस समस्या को सुलझा लिया जायेगा। 

 

बच्चों के साथ बैठकर शिक्षा मंत्री ने खाया खाना
जाते-जाते ये तस्वीर देखते जाइये। राज्य के शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो गिरिडीह के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पोरदाग में पहुंचे थे। यहां स्कूली बच्चों को साथ पंगत में बैठकर खाना खाया। चापाकल में प्लेट धोते बच्चों की मदद की। अपने बीच शिक्षा मंत्री को पाकर बच्चे भी खुश नजर आये। उन्होंने अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिया। उम्मीद है सरकारी स्कूलों के दिन भी बहुरेंगे।