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रांची : झारखंड की सियासत के धोनी साबित हुए हेमंत सोरेन, विपक्ष के बाउंसर पर लगाया 1932 का सिक्सर

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सूरज ठाकुर

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड की सियासत के धोनी साबित हुए हैं। जिस प्रकार टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी दबाव में और बेहतर बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं, वैसे ही हेमंत सोरेन ने भी दबाव के बीच अपनी बेहतरीन रणनीति से विपक्ष को चारों खाने चित्त कर दिया है। जिस प्रकार धोनी आखिरी बॉल में छक्का लगाकर विरोधी टीम के मुंह से जीत छीन लेने के लिए जाने जाते हैं वैसे ही सीएम हेमंत ने भी 1932 के खतियान के रूप में सियासत का ऐसा सिक्सर लगाया है कि बीजेपी हक्की-बक्की रह गई है। वैसे भी। धोनी हों या हेमंत। दोनों ही झारखंडी धरती से ताल्लुक रखने वाले हैं। एक क्रिकेट में 22 गज की पिच का बादशाह है तो दूसरा फिलहाल झारखंड की सियासत का कप्तान है। 

झारखंड में सियासत का उतार-चढ़ाव
झारखंड में सियासत का हालिया मैच काफी रोमांच भरा रहा है। पक्ष और विपक्ष के बीच ये सियासी मुकाबला तराजू की तरह चला है। कभी पलड़ा सरकार की तरफ झुका तो कभी विपक्ष की तरफ। विपक्ष ने कभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों पर ईडी की कार्रवाई का यॉर्कर मारा तो कभी चुनाव आयोग की सीलबंद चिट्ठी के रूप में बाउंसर लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्रीज पर डटकर कभी हेलिकॉप्टर शॉट मारा तो कभी धोनी की तरह लॉंगऑन पर रणनीति का सिक्सर लगाया। 

विपक्ष के हर हमले का दिया माकूल जवाब
जब विपक्ष ने बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था के मसले पर हमलों का शॉट बॉल फेंका तो सीएम हेमंत ने पुलिसकर्मियों को क्षतिपूर्ति अवकाश और आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के वेतनमान में वृद्धि के रूप में शानदार पुल शॉट लगाया और विपक्ष के हर सियासी गेंद को बाउंड्री के पार पहुंचाया। जैसे कैप्टन कूल धोनी, मैच में शांत रहते हुए विचलित हुए बिना स्ट्राइक रोटेट करते हुए बाउंड्री लगाते रहते हैं वैसे ही सीएम हेमंत ने भी झारखंड की सियासी पिच पर जरूरत के हिसाब से लतरातू की पिकनिक और रायपुर के पॉलिटिकल दौरे के रूप में स्ट्राइक रोटेट किया तो अब आखिरी ओवर में 1932 के खतियान और ओबीसी आरक्षण के रूप में लगातार बाउंड्री लगाकर विपक्ष की हर रणनीति को धाराशायी कर दिया।

सियासी पिच पर सीएम ने स्ट्राइक रोटेट किया
क्रिकेट जगत के सबसे बड़े फिनिशर के रूप में विख्यात धोनी अक्सर कहते हैं कि जब मैं आखिरी ओवरों में लक्ष्य का पीछा कर रहा हूं तो दबाव केवल मुझपर नहीं है। गेंदबाज पर भी है। वैसे में क्रिकेट के फैन सीएम हेमंत सोरेन ने भी इसी फॉर्मूले को अपनाया। सीएम हेमंत सोरेन जानते थे कि राजभवन में चुनाव आयोग की सीलबंद चिट्ठी आई है। मेरी विधायकी जा सकती है। सरकार पर संकट आ सकता है, लेकिन सीएम हेमंत ये भी जानते थे कि नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी की विधायकी भी दल-बदल मामले में संकट में है। कांके विधायक समरी लाल गलत जाति प्रमाण पत्र को लेकर घिरे हुए हैं। 

राजभवन से चिट्ठी का इंतजार होता रहा
मुख्यमंत्री शायद ये भली-भांति जानते थे कि राजभवन बाबूलाल और समरी लाल पर फैसले का इंतजार करेगी तभी मेरे खिलाफ पत्ते खोलेगा। ये बात काफी हद तक सही भी साबित हुई। 25 अगस्त को ही राजभवन पहुंच चुकी चुनाव आयोग की चिट्ठी खुलने का इंतजार होता रहा। अब भी हो रहा है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री सियासी पिच पर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते रहे। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी शायद मुगालते में थी कि सीएम हेमंत हमलों के दबाव में बिखर जाएंगे लेकिन वे फैसले लेते रहे। पुलिसकर्मियों की वर्षों पुरानी क्षतिपूर्ति अवकाश और 13 माह के वेतनमान की मांग को मंजूरी दी। आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के वेतनमान में वृद्धि की।

पंचायत सचिव अभ्यर्थियों से ठोस वादा किया
बीते तकरीबन 5 साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे पंचायत सचिव अभ्यर्थियों से मिले और वादा किया कि जल्दी नियुक्ति होगी। इससे पहले 7वीं से 10वीं जेपीएससी का सफल आयोजन करके वे पॉवरप्ले में ही अपनी स्थिति मजबूत कर चुके थे। इधर, 20 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का भी ऐलान हो चुका है। राजभवन सीलबंद लिफाफे को लेकर अनिर्णय की स्थिति में रहा और इधर मुख्यमंत्री फैसले पर फैसले लेते रहे। आखिरकार, मुख्यमंत्री ने 1932 के खतियान और 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के रूप में ऐसा शॉट मारा कि बीजेपी आसमान निहारती रह गई।

 

मुख्यमंत्री के दोनों हाथों में लड्डू हैं
अब हालात ऐसे हैं कि 1932 के खतियान और ओबीसी आरक्षण से संबंधित विधेयक झारखंड विधानसभा से पास होने के पश्चात केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता को 9वीं अनुसूचि में शामिल करने की मांग की जाएगी। यदि केंद्र ने इसे मंजूरी दी तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सियासी लीड वैसे भी तय है। यदि केंद्र ने इसे मंजूरी नहीं दी तो सीधे तौर पर आदिवासी-मूलवासी विरोधी कहलाएगी। यदि अब चुनाव आयोग की चिट्ठी के मुताबिक सीएम हेमंत सोरेन सियासी पिच पर आउट हो भी जाते हैं तब भी उन्होंने आगामी बल्लेबाजों के लिए प्लेटफॉर्म सेट कर दिया है। वे खुल कर खेल सकेंगे।