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एक अलग प्रेम कहानी : पटना साहिब के पास के इस मक़बरे का ताजमहल से क्या है नाता, जानिये

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पटना:

आगरा के ताजमहल के बारे में तो सबने सुना है, ताजमहल के पीछे की कहानी भी सबको पता है। मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज़ की याद में ताजमहल बनवाया था। इसे विश्व के 7 अजूबों में से एक तक माना गया है। सिखों के दूसरे बड़े तख्त श्री हरिमंदिरजी पटना साहिब के पास स्थित एक मक़बरे से  इसका क्या नाता है। जिसकी आजकल चर्चा हो रही है। यह मक़बरा पटना साहिब से लगभग 50 गज की दूरी पर गंगा जाने वाले रास्ते पर है। इसे कंगन घाट कहा जाता है।

 

बताया जाता है कि मुमताज़ महल की ही सगी बड़ी बहन मल्लिका बानो उर्फ हमीदा बानो यहां दफ्न हैं। उनकी मज़ार एक बड़े व्यवसायी के घर की चहारदीवारी में बंद है। मल्लिका बानो की मजार के बारे कम ही लोग जानते हैं। यहां कोई आता-जाता भी नहीं। सही कहा जाता है कि एक कोख से पैदा होने के बावजूद सबकी किस्मत एक जैसी नहीं होती। छोटी बहन मुमताज़ को जहां ताज का उजियारा मिला तो वहीं बड़ी बहन मल्लिका अंधियारे में रहने को विवश है।स्थानीय लोगों की मांग है कि इस मकबरे को भी ताजमहल जैसा पुनर्जीवित किया जाए, ताकि यह भी महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल बन सके।

चलिये अब हमीदा बानो के बारे में जानते हैं। लोग बताते हैं कि सूबेदार सईफ खान और हमीदा के बीच भी बहुत मोहब्बत थी। शाहजहां को गद्दी मिली तो उन्होंने सईफ खान को बिहार का सूबेदार बना दिया था। सईफ खान ने झाऊगंज में गंगा तट पर विशाल मस्जिद और मदरसे बनवाए। आज उसे मदरसा मस्जिद के नाम से जाना जाता है। उन्होंने 40 खंभोंवाले हॉल का भी निर्माण कराया जो चहालसलूम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। गुलजारबाग के समीप शाही ईदगाह का भी निर्माण कराया पर वहीं अपनी मोहब्बत को कोई यादगार निशानी न दे सके। अपनी बेगम के स्मारक को शाहजहां के ताजमहल जैसा रूप ना दे सके।