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अजब-गजब : 1982 में खोया था कछुआ, 30 साल बाद सफाई के दौरान मिला 

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डेस्कः
ब्राजील के रियो से अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यूं कहते है कि बगल में छोरा, नगर में ढिंढोरा। मतलब ये कि पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढना। ऐसा ही कुछ हुआ है रियो में रहने वाले एक परिवार के साथ,उनकी कोई वस्तु तो नहीं लेकिन उनका पालतू कछुआ 30 साल पहले उनसे बिछड़ गया था। काफी खोज के बाद भी नहीं मिलने पर उनकी उम्मीद टूट गई। तब उन्होंने उसे भूलने का फैसला किया है। 


1982 में खो गया था पालतु कछुआ 
दरअसल साल 1982 में उनका पालतू कछुआ मनुएला खो गया था।मनुएला उस कछुआ का नाम है। 30 साल पहले उनके घर में कुछ कारीगर आए थे। जाते वक्त उन्होंने घर का दरवाजा खुला छोड़ दिया था। ऐसे में फैमिली को लगा कि कछुआ दरवाजे से बाहर चला गया होगा। उन्होंने कई जगह कछुए की तलाश की लेकिन नाकामयाब हो गए। और थक हार कर उन्होंने कछुए को भुलाना जरूरी का फैसला किया। 


 30 साल बाद कबाड़ घर की सफाई के दौरान मिला कछुआ
इसके कुछ समय बाद परिवार दूसरे घर में शिफ्ट हो गया था। हाल ही में जब परिवार के मुखिया की मौत हुई, तो परिवार वापस अपने पुश्तैनी मकान में लौटा। जब उन्होंने कबाड़ घर की सफाई शुरू की, तो उन्हें वहां अपना कछुआ मिला वो भी ज़िंदा। 1982 में किसी ने घर के अंदर उसकी तलाशी करने की सोची ही नहीं। आखिरकार तीस साल बाद वो घर के बेसमेंट से ही जिन्दा मिला।  


कछुए करीब 225 साल तक जिंदा सकते है
ये हैरान करने वाली बात है कि 30 साल तक कछुआ जिंदा कैसे रह गया। तो बता दें कि कछुए करीब 225 साल तक जिंदा रह सकते हैं। बिना पानी और खाना के वो तीन साल ही जिंदा रह पाते हैं। लेकिन इस कछुए ने 30 साल काट लिए। इतने सालों तक कछुआ घर के बेसमेंट में लगी लकड़ियों के दीमक को खाकर जिन्दा था। परिवार ने तुरंत कछुए का चेकअप करवाया। पहले परिवार को लगता था कि वो मादा कछुआ है लेकिन जांच में पता चला कि वो नर है। ऐसे में उन्होंने उसका नाम भी बदल दिया।