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रामनवमी का क्या है महत्व...राम जन्मोत्सव में क्यों होती है हनुमान की पूजा , जानें

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द फॉलोअप डेस्कः 
आज रामनवमी है। हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में ही चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है। राम भक्त प्रभु के जन्मदिन पर दीवाली की तरह खुशियां मनाते हैं। पूजा-अर्चा करते हैं। सनातन धर्म में राम नवमी का गहरा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार आज के दिन बहुत ही ज्यादा शुभ माना गया है। बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त का संदेश देने के लिए भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया था। संसार का कल्याण करने के लिए श्री राम का जन्म हुआ था। इस दिन सच्चे दिल से प्रभु श्री राम के नाम का जप करने मात्र से प्राणी के जीवन में सुख, समृद्धि, हर्ष और उल्लास भर जाता है। हर मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। चैत्र मास के शुल्क पक्ष की नवमी को ही सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने धरती पर श्री राम के रूप में जन्म लिया था।

हनुमान की पूजा होती है अति फलदायी

भगवान विष्णु अयोध्या के राजा दशरथ के घर जन्म लेकर अपने सातवें अवतार में धरती से प्रकट हुए थे। श्री राम ने महान राजा दशरथ और कौशल्या के सबसे बड़े बेटे के रूप में जन्म लिया था। संसार को मर्यादा, सादगी, अच्छाई, धैर्य, अच्छे व्यवहार का पाठ पढ़ाने वाले श्री राम के जन्मदिन को ही राम नवमी के रूप में मनाया के जाता है। राम नवमी को प्रभु राम के साथ हनुमान की पूजा अति फलदायी होती है। इस दिन हनुमान ध्वज अपने अपने घरों में लोग फहराते हैं। विशेष शोभायात्रा निकाली जाती है। सुबह में पूजा अर्चना के बाद लोग अपने घरों के पारंपरिक अस्त्र लेकर निकलते हैं। जय सिया-राम के जयकारे लगाते हैं। राम की कृपा पाने के लिए हनुमान की कृपा जरुरी है। इसलिए अगर आप राम को प्रसन्‍न करना चाहते हैं हनुमान की विशेष पूजा करें। हनुमान के हृदय में हमेशा राम और सीता विराजमान रहते हैं। एक बार राम ने खुद हनुमान से कहा था कि हमारे जन्‍म के दिन तुम्‍हारी ही पूजा होगी।


माता कौशल्या ने राम को जन्म दिया
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म त्रेता युग के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन पुनर्वसु नक्षत्र के कर्क लग्न पर अयोध्या के सूर्यवंशी क्षत्रिय वंश में हुआ था। शास्त्रों के अनुसार राजा दशरथ की 3 पत्नियां थीं और तीनों की ही कोई संतान नहीं थी। संतान का सुख प्राप्त न कर पाने की वजह से राजा और उनकी रानियों के पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं था। संतान का सुख भोगने के लिए राजा दशरथ ने महर्षि वशिष्ठ के शरणागत हो गए थे, जहां उन्हें यज्ञ करने की सलाह दी गई थी।

हजारों सालों से मनाई जा रही रामनवमी  

राजा दशरथ को संतान प्राप्ति हो इसलिए महर्षि ऋषि श्रंगी द्वारा यज्ञ सम्पन्न करवाया गया था। यज्ञ के फलस्वरूप राजा दशरथ की तीनों पत्नियां गर्भवती हो गई थीं, उन्हीं में से रानी कौशल्या ने श्री राम को जन्म दिया था। माता कौशल्या की कोख से राजा दशरथ के घर जन्में श्री राम का जन्म धरती से पापियों का नाश करने, बुराई का अंत करने तथा भेद-भाव की बेड़ियां तोड़ने के लिए हुआ था। भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में ही भगवान राम का रूप धारण कर लिया था। राम नवमी का त्योहार सनातन धर्म के पालकों द्वारा पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है। रामनवमी का दिन भगवान राम के जन्म के साथ साथ मां दुर्गा की चैत्र नवरात्रि के समापन का भी संकेत देती है।

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