डेस्क:
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए बम धमाके में जान गंवाने वाले मृतकों की संख्या बढ़कर 21 तक पहुंच गई है। दर्जनों लोग अब भी घायल हैं। काबुल सिक्योरिटी कमांड के प्रवक्ता ने उक्त जानकारी दी। दरअसल, बुधवार देर शाम काबुल के खैरखाना इलाके में स्थित एक मस्जिद में उस वक्त धमाका हुआ जब लोग शाम की नमाज अदा कर रहे थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बम ब्लास्ट की इस घटना में आमिर मोहम्मद काबुली नाम के शीर्ष ईस्लामिक धर्मगुरु की भी मौत हुई है।
Death toll in Kabul mosque explosion rises to 21
— ANI Digital (@ani_digital) August 18, 2022
Read @ANI Story | https://t.co/HWhPPSomBa#DeathTollRises #KabulMosqueBlast #Explosions #Afghanistan pic.twitter.com/IUS2WEQzyZ
तालिबान ने नहीं दिया है आधिकारिक बयान
अफगानिस्तान की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान सरकार ने हताहतों की वास्तविक संख्या को लेकर अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। वहीं, अब तक किसी भी आतंकी संगठन ने बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी नहीं ली है। बता दें कि महज 2 सप्ताह पहले ही काबुल में 2 शक्तिशाली धमाके हुए थे जिसमें 10 लोगों की जान गई थी वहीं 40 लोग घायल हो गए थे। उस धमाके की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी, लेकिन हालिया हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है।
काबुल के खैरखाना इलाके में हुआ था धमाका
जानने योग्य बात ये भी है कि बुधवार को काबुल के मस्जिद में हुआ धमाका, अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता स्थापित होने की पहली वर्षगांठ पर हुआ है। कई समुदायों ने आरोप लगाया है कि तालिबान ने देश में मानवाधिकार तथा महिला अधिकारों से संबंधित कई वादों का उल्लंघन किया है। आरोप है कि बीते साल काबुल में कब्जे के बाद इस ईस्लामिक संगठन ने महिलाओं और लड़कियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। मीडिया पर दबाव बनाया है। विरोधियों को हिरासत में लिया गया। उनको प्रताड़ित किया गया।
अगस्त 2021 में काबुल पर हुआ था तालिबान का कब्जा
गौरतलब है कि बीते साल अगस्त महीने में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था। इसी के साथ अफगानिस्तान में 20 साल से चले आ रहे अमेरिकी समर्थित लोकतांत्रिक सरकार का पतन हो गया। राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग गये। तालिबान शासन में महिलाओं पर कई तरह के कठोर प्रतिबंध लगाए गये हैं। उनको शिक्षा और नौकरी से वंचित किया गया है।