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हरिवंश ने ताशकंद में IPU की सभा को संबोधित किया, बताया भारत कैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत कर रहा

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द फॉलोअप डेस्क 
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने ताशकंद में आयोजित अंतर-संसदीय संघ (IPU) की 150वीं सभा में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने भारत सरकार द्वारा जवाबदेही को बेहतर बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सशक्त करने हेतु उठाए गए विभिन्न कदमों को रेखांकित किया। उन्होंने IPU संकल्पों और निर्णयों के क्रियान्वयन के संबंध में आयोजित विशेष सत्र में अपनी बातें कहीं। हरिवंश ने कहा कि, “हमारी सरकार ने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, शोषण, तस्करी और हिंसा के विरुद्ध एक व्यापक रणनीति लागू की है, जिसके अंतर्गत द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन मुद्दों से निपटने के लिए बहुपक्षीय पहलों में भागीदारी की गई है। भारत ने सशक्त संसदीय लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायपालिका और निर्वाचन आयोग, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जैसे संस्थानों की स्थापना हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए की है।”


अपने वक्तव्यों के अलावा, उपसभापति सभा की मुख्य कार्यवाही और गवर्निंग काउंसिल की बैठक का भी हिस्सा थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व माननीय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया, जिसमें दोनों सभाओं के सदस्य सम्मिलित थे। IPU सभा का विषय "सामाजिक विकास और न्याय हेतु संसदीय कार्रवाई" था।
अपने पांच दिवसीय ताशकंद दौरे के दौरान उपसभापति ने विभिन्न देशों के पीठासीन अधिकारियों और राष्ट्राध्यक्षों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें कीं। राज्यसभा के उपसभापति और लोकसभा अध्यक्ष ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव से भी शिष्टाचार भेंट की। इस बैठक में उन्होंने दोनों देशों के गहरे संबंधों को रेखांकित किया तथा आगामी वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ बनाने पर बल दिया। एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, भारत उज्बेकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद उसकी राज्य संप्रभुता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिसे 18 मार्च 1992 को राजनयिक संबंधों की स्थापना द्वारा औपचारिक रूप दिया गया। सम्मेलन के दौरान उपसभापति और लोकसभा अध्यक्ष ने आर्मेनिया, कज़ाख़िस्तान, उज्बेकिस्तान सहित अन्य देशों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। इन बैठकों में पीठासीन अधिकारियों ने अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ साझा हितों से जुड़े दृष्टिकोणों पर चर्चा की।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ताशकंद में स्थित पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की स्मृति स्थल का भी दौरा किया।
IPU के दौरान हरिवंश ने भारतीय प्रवासियों और समरकंद स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ विभिन्न सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने दोनों देशों के बीच सेतु के रूप में कार्य करने वाले भारतीय समुदाय के महत्व को दोहराया। उन्होंने कहा, "जन-से-जन का जुड़ाव हमारे टिकाऊ संबंधों की आत्मा है और शिक्षा इस संबंध को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मुझे अत्यधिक गर्व है कि उज्बेकिस्तान की 15 विश्वविद्यालयों में 'भारत अध्ययन केंद्र' की स्थापना हुई है, जो भारत की समृद्ध संस्कृति और भाषाओं के अध्ययन को समर्थन देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में भर्तृहरि महताब, संसद सदस्य; अनुराग सिंह ठाकुर, संसद सदस्य; विष्णु दयाल राम, संसद सदस्य; अपराजिता सारंगी, संसद सदस्य; डॉ. सस्मित पात्रा, संसद सदस्य; अशोक कुमार मित्तल, संसद सदस्य; किरण चौधरी, संसद सदस्य; लता वानखेड़े, संसद सदस्य; बिजुली कालिता मेधी, संसद सदस्य; उत्पल कुमार सिंह, महासचिव, लोकसभा और पी. सी. मोदी, महासचिव, राज्यसभा सम्मिलित थे।

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