द फॉलोअप डेस्क
अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी एजेंसी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या गौतम अदानी के नेतृत्व वाले अदानी समूह की कंपनियों ने भारत के मुंद्रा पोर्ट के ज़रिए ईरान से लिक्विफ़ाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का आयात किया है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अदानी एंटरप्राइज़ेज़ ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए इसे “बेबुनियाद और क्षति पहुंचाने वाला” करार दिया है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, “हमें अमेरिकी अधिकारियों द्वारा किसी भी तरह की जांच की कोई जानकारी नहीं है।”
वहीं, वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके पास ऐसे सबूत हैं जो यह दर्शाते हैं कि गुजरात के मुंद्रा पोर्ट और फ़ारस की खाड़ी के बीच चलने वाले कुछ टैंकरों में उन विशिष्ट पैटर्न्स की पहचान हुई है, जो आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने वाले जहाजों में देखे जाते हैं।
अख़बार के मुताबिक अमेरिकी न्याय विभाग अदानी एंटरप्राइज़ेज़ को एलपीजी की आपूर्ति में लगे कई जहाजों की गतिविधियों का विश्लेषण कर रहा है। यह जांच उस समय चल रही है जब अमेरिका ने ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद पर सख्त पाबंदी लगा रखी है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मई 2019 में जारी आदेश के अनुसार, ईरान से व्यापार करने वाले किसी भी व्यक्ति या देश पर सेकेंडरी सैंक्शंस लगाए जा सकते हैं।
रिपोर्ट की शुरुआत में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने गौतम अदानी को एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में पेश करते हुए कहा है कि वे अपने खिलाफ लगे पुराने आरोपों से निजात पाने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट में ये भी याद दिलाया गया है कि नवंबर 2023 में गौतम अदानी पर अमेरिका में धोखाधड़ी और रिश्वत से जुड़े आरोपों को लेकर मुक़दमा दायर किया गया था।
ब्रुकलिन स्थित अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय की ओर से की जा रही जांच को अदानी समूह के लिए संभावित संकट के रूप में देखा जा रहा है। रिपोर्ट में अदानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी सहयोगी भी बताया गया है।
रिपोर्ट में लॉयड्स लिस्ट इंटेलिजेंस की समुद्री गतिविधियों पर निगरानी रखने वाली संस्था के विश्लेषकों का हवाला देते हुए कहा गया है कि जहाजों के ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) के साथ छेड़छाड़ जैसे संकेत दिखाई दिए हैं। यह AIS सिस्टम जहाज की लोकेशन की जानकारी साझा करता है, और इससे छेड़छाड़ करना आमतौर पर संदिग्ध गतिविधियों से जुड़ा माना जाता है।
विशेष रूप से, अप्रैल 2024 में पनामा के झंडे वाले एक कार्गो शिप एसएमएस ब्रोस पर नज़र डाली गई, जो कथित रूप से अदानी के लिए एलपीजी लेकर आया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि जहाज़ का AIS डेटा दक्षिणी इराक़ के खोर अल-ज़ुबैर में 3 अप्रैल को उसकी मौजूदगी दर्शा रहा था, लेकिन उसी दिन सैटेलाइट इमेजरी में यह जहाज़ ईरान के टोनबुक बंदरगाह पर डॉक किया हुआ पाया गया।
सैटेलाइट इमेज एक्सपर्ट्स के हवाले से रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि टोनबुक में दिखा जहाज़ एसएमएस ब्रोस ही था। इस पूरे मामले पर अभी अमेरिकी अधिकारियों की ओर से औपचारिक टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच की दिशा और निष्कर्ष पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।