द फॉलोअप डेस्क
बिना कपड़ों के हजारों नग्न पुरुष, पसीनों से लथपथ, एक लकड़ी के तावीजों से भरे एक थैले को लेकर मंदिर में पहुंचे। बिना कपड़ों के मंदिर पहुंचे ये लोग 'हाडीका-मात्सुरी फेस्टिवल' मनाने आए थे। ये नजारा जापान का है। दरअसल, जापान के इस अनोखे त्योहार का आयोजन ओकायामा के प्रसिद्ध सैदाईजी केनोनिन मंदिर में हुआ। ये मंदिर 1250 साल पुराना है। कड़ाके की ठंड में इस फेस्टिवल में शामिल होने के लिए हजारों लोग पानी से होकर आते हैं। कहा जाता है कि जो भी जल से गुजर कर आता है, वो पवित्र माना जाता है। इस साल इस त्योहार को आखिरी बार मनाया गया। आखिरी बार इसलिए क्योंकि जापान में युवा आबादी घट गई है, इसलिए इस त्योहार के काम का बोझ भी बुजुर्गों पर आ गया है। इसी वजह से इस फेस्टिवल को बंद करने का फैसला लिया गया है।
इस त्योहार में लोग सिर्फ लंगोट पहनते है
ये त्योहार नेकेड फेस्टिवल के नाम से भी मशहूर है। त्योहार में आने वाले लोग सिर्फ और सिर्फ लंगोट पहनते हैं। इस फेस्टिव को जापान के दक्षिणी हिस्से होन्शू आइलैंड पर मनाया जाता है। इसी आइलैंड पर सैदाईजी केनोनिन मंदिर है। इस त्योहार की शुरुआत महिलाओं के डांस से होती है। इस त्योहार में एक स्थानीय व्यक्ति को शिन-ओटोको यानी गॉड मैन के तौर पर चुना जाता है। मंदिर में आने वाले लोग गॉड मैन को छूना चाहते हैं।
क्यों बंद किया जा रहा है ये फेस्टिवल?
इस कार्यक्रम का आयोजन, हर साल सैकड़ों प्रतिभागियों और हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन उम्रदराज लोगों के लिए ये एक परेशानी का कारण बन गया था। बुजुर्गों के लिए इस त्योहार को मैनेज कर पाना काफी मुश्किल हो जाता था। 729 में खोले गए मंदिर के निवासी भिक्षु दाइगो फुजिनामी ने कहा, "इस पैमाने के उत्सव का आयोजन करना बहुत मुश्किल है।" उन्होंने कहा, "आप देख सकते हैं कि आज क्या हुआ - इतने सारे लोग यहां हैं और यह सब रोमांचक है। लेकिन पर्दे के पीछे की सच्चाई हर कोई नहीं जानता है। हमें बहुत काम करना होता है। मैं कठिन वास्तविकता को नजर अंदाज नहीं कर सकता था।
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