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अनुबंध शिक्षाकेतर कर्मचारियों ने बूट पॉलिश कर जताया विरोध, 2 महीने से जारी है धरना; ये हैं मांगें

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रांची
झारखंड के अंगीभूत महाविद्यालयों में वर्षों से कार्यरत अनुबंध शिक्षाकेतर कर्मचारी अपने समायोजन की मांग को लेकर पिछले करीब दो महीने से राज्यभवन के समीप धरने पर बैठे हैं। इनका कहना है कि उन्हें 26 मार्च 2025 से कार्य से हटा दिया गया, जिसके बाद से वे लगातार अपनी बहाली और समायोजन की मांग को लेकर सरकार और प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। सोमवार को अपने विरोध को अलग अंदाज़ में व्यक्त करते हुए इन कर्मचारियों ने राजभवन के निकट "बूट पॉलिश अभियान" चलाया। कभी कंप्यूटर और लैपटॉप पर ऑफिस का काम करने वाले ये कर्मचारी अब विरोधस्वरूप जूते-चप्पल पॉलिश करते दिखाई दिए। उनका कहना है कि यह प्रदर्शन सरकार को उनकी बदहाल स्थिति दिखाने का एक प्रतीकात्मक प्रयास है।
धरने पर बैठे कर्मचारियों के अनुसार, पहले वे महाविद्यालयों में चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के विभिन्न कार्यों को अंजाम देते थे। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मात्र ₹6000 और तृतीय श्रेणी को ₹8000 मासिक वेतन मिलता था, जो अब पूरी तरह बंद हो चुका है। लगभग 500 कर्मचारियों को अचानक काम से हटा दिया गया, जिससे उनके सामने आजीविका का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
धरना दे रहे मोर्चा के सदस्यों ने राज्य सरकार से मांग की है कि उन्हें तत्काल किसी उपयुक्त स्थान पर समायोजित किया जाए, अन्यथा वे आगे और उग्र आंदोलन को मजबूर होंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने झारखंड में संविदा कर्मियों की अस्थिरता और प्रशासनिक उपेक्षा के सवाल को फिर से सतह पर ला दिया है।

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