रांची
राज्य के अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट का नामांकन जारी रखने तथा राज्य के विश्वविद्यालयों में झारखंड के आदिवासी और मूलवासी प्राध्यापकों को ही कुलपति बनाए जाने की मांग को लेकर आज कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री बंधु तिर्की के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से आग्रह किया कि आधारभूत संरचना की कमी, शिक्षकों की संख्या में गिरावट और ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट स्तर पर नामांकन की प्रक्रिया को कुछ वर्षों के लिए जारी रखा जाए। प्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि यदि यह व्यवस्था बंद होती है, तो वर्षों से इंटरमीडिएट संकाय में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के समक्ष बेरोज़गारी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, जिससे उनके समायोजन की आवश्यकता पड़ेगी।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग की कि राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में झारखंड के आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के प्राध्यापकों को समुचित प्रतिनिधित्व मिले। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षकों की प्रोन्नति की प्रक्रिया अत्यंत धीमी होने के कारण इन वर्गों का प्रशासकीय पदों पर प्रतिनिधित्व नगण्य है। इस स्थिति को बदलने के लिए जेपीएससी सहित सभी संबंधित संस्थानों को निर्देशित किया जाए कि वे प्रोन्नति की प्रक्रिया में तेजी लाएं।
इसके अतिरिक्त, चांसलर पोर्टल के माध्यम से नामांकन प्रक्रिया में ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को आ रही कठिनाइयों की ओर ध्यान दिलाते हुए, प्रतिनिधिमंडल ने ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन माध्यम से भी नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की।
राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल की मांगों पर सकारात्मक विचार करने का आश्वासन देते हुए कहा कि वे शीघ्र ही उच्च शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे और विश्वविद्यालय शिक्षकों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सुझाव प्राप्त करेंगे। प्रतिनिधिमंडल में शांतनु मिश्रा, रमा खालखो, को. शिवराम, रमेश महली, मंगाल उरांव, करमा उरांव, मोहम्मद जमील और मोहम्मद सिद्दीकी शामिल थे।