रांची
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (TAC) की बैठक में थाना क्षेत्र की बाध्यता को समाप्त करने पर सहमति बनी। सदस्यों ने सीएनटी एक्ट लागू होने के समय गठित तीन थानों को ही पुनः प्रभावी बनाने का समर्थन किया। हालांकि इसे लागू कैसे किया जाएगा, इस पर अंतिम निर्णय कानूनी राय मिलने के बाद लिया जाएगा।
सरकार लीगल ओपिनियन लेने के बाद पुलिस और रैयती थानों के परिसीमन से जुड़े मामलों को सुलझाएगी। इसके बाद इस प्रस्ताव को अगली TAC बैठक में मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
बैठक के दौरान TAC की वैधता को लेकर उठे सवालों — जैसे राजभवन, बुद्धिजीवी मंच और विधायक चंपई सोरेन की आपत्तियों — पर भी चर्चा हुई। इस संबंध में स्टीफेन मरांडी ने जानकारी दी कि महाधिवक्ता से राय ली गई है और वर्तमान TAC को वैध माना गया है।
बैठक में एक अन्य अहम मुद्दा शेड्यूल एरिया में शराब दुकान, रेस्टोरेंट और बार खोलने को लेकर उठा। तय किया गया कि ऐसे क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति से ही यह अनुमति दी जाएगी। खासकर जहां 50% से अधिक आबादी आदिवासी है, वहां ग्रामसभा की अनुमति अनिवार्य होगी।
पेसा अधिनियम से जुड़ी नियमावली को लेकर बताया गया कि पहले जेपीआर-1 में संशोधन किया जाएगा, उसके बाद ही पेसा नियमावली का गठन किया जाएगा।
खड़काई डैम से जुड़े मामलों में, डैम का जलस्तर कम करने पर विचार हुआ ताकि प्रभावित गांवों की संख्या घटाई जा सके। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को होमवर्क करने का निर्देश दिया गया है।
मेसा अधिनियम पर निर्णय फिलहाल स्थगित
बैठक में मेसा (MESA) अधिनियम से जुड़े विषय को फिलहाल स्थगित कर दिया गया। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने इस अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन पर राज्य सरकार से मंतव्य मांगा था। प्रस्ताव में कहा गया है कि शेड्यूल एरिया के स्थानीय निकायों में स्टैंडिंग कमेटी की अनुशंसा को बाध्यकारी न माना जाए।