logo

विवाहित महिला को फुसलाना अपराध, धोखाधड़ी की धारा बदली; 3 नए क्रिमिनल लॉ पर वो सब जो जानना चाहते हैं

justice3.jpg

द फॉलोअप डेस्क
आज यानी 1 जुलाई से देशभर में 3 नए क्रिमिनल कानून लागू हुए हैं। देश में आज से 3 नए आपराधिक कानून लागू हो चुके हैं। इसके तहत कई कानून बदल गए हैं। साथ ही इसके लागू होने से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे। देशभर में आज से ब्रिटिश काल के कानूनों का अंत हो चुका है। तीन नए कानून में भारतीय न्याय संहिता  (BNS),भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS),भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) है। इन तीन कानून में कुछ पुरानी धाराओं को हटाया गया है। इसके साथ ही कुछ नए कानूनों को जोड़ा गया है। 


घर बैठे e-FIR दर्ज करा सकेंगे
नए क्रिमिनल कानूनों में महिलाओं, बच्चों और जानवरों से जुड़ी हिंसा के कानूनों को सख्त किया गया है। इसके अलावा कई प्रोसीजरल बदलाव भी हुए है, जैसे अब घर बैठे e-FIR दर्ज करा सकते हैं। इन कानूनों के लागू होने के साथ ही दिल्ली के कमला पार्क थाने और भोपाल के हनुमानगंज थाने में भारतीय न्याय संहिता-2023 (BNS) के तहत पहली FIR दर्ज की गईं।
धारा में भी बदलाव
नए कानून के लागू होने के बाद जो धाराएं अपराध की पहचान बन चुकी थीं, उनमें भी बदलाव होगा। जैसे हत्या के लिए लगाई जाने वाली IPC की धारा 302 अब धारा 101 कहलाएगी। ठगी के लिए लगाई जाने वाली धारा 420 अब धारा 316 होगी। हत्या के प्रयास के लिए लगाई जाने वाली धारा 307 अब धारा 109 कहलाएगी। वहीं दुष्कर्म के लिए लगाई जाने वाली धारा 376 अब धारा 63 होगी। पहले गैंगरेप की धारा 376 D अब 70 होगी। हत्या का प्रयास अब 307 नहीं बल्कि 109 में आएगा। मानहानि 499 नहीं बल्कि 356 में आएगा। किडनैपिंक अब 359 नहीं धारा 137 में आएगा। इसके साथ ही 18 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप में आजीवन कारावास और मौत की सजा का प्रावधान है। गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल।


इन नए कानूनों को भी जानें

  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध की श्रेणी में आएगा। किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान नए कानून में जोड़ा गया है।
  • नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज कराने में सक्षम है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा। पुलिस द्वारा फौरी कार्रवाई की जा सकेगी।
  • ‘जीरो एफआईआर’ से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में न हुआ हो।
  • नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के अंदर आएगा। पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय कर दिए जाएंगे। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी ही लेगी, साथ ही उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में बयान दर्ज किया जाएगा। मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के अंदर देनी होगी। नये कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है। सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी होगी जो जरूरी है।

  •  नए कानून में गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग प्राप्त होगा।
  •  नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है। इससे मामले दर्ज किए जाने के 2 महीने के अंदर जांच पूरी की जाएगी। नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा।
  •  नए कानूनों में, महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा।
  •  आरोपी तथा पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा।
  • अदालतें वक्त रहते न्याय देने के लिए मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के वास्ते अधिकतम दो बार मुकदमे की सुनवाई स्थगित कर सकती हैं।
  • नए कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना जरूरी है। ऐसा इसलिए ताकि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग सुनिश्चित किया जाए और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता व प्रभाव बढ़ाया जाए।
  • पीड़ित को अधिक सुरक्षा देने तथा दुष्कर्म के किसी अपराध के संबंध में जांच में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पीड़िता का बयान पुलिस द्वारा ऑडियो-वीडियो माध्यम के जरिए दर्ज किया जाएगा। सेक्शन 72 के अनुसार अदालत की परमिशन के बिना यौन अपराधों से जुड़े कोर्ट की कार्यवाही को पब्लिक करना एक अपराध है।बलात्कार, पति द्वारा अलग रह रही पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना या किसी व्यक्ति द्वारा धोखा देकर संबंध बनाने जैसे मामलों में बिना कोर्ट की परमिशन के कार्यवाही को पब्लिक करने पर दो साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि कोर्ट के फैसलों को पब्लिश करना अपराध नहीं माना जाएगा। IPC की धारा 228 (A) में भी इसी प्रकार के प्रावधान थे।

  • महिलाओं, पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी। वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
  • प्रदेश के सभी पुलिस थानों में नए कानून को प्रभावी किए जाने के पूर्व पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। नया कानून लागू होने पर सबसे बड़ा बदलाव होगा कि पुलिस जांच पदाधिकारियों की जांच व अनुसंधान का तरीका बदलेगा। डिजिटल पुलिसिंग को बढ़ावा मिलेगा जिससे गंभीर अपराध के घटनास्थल पर उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित किए जा सकेंगे। घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर जोर रहेगा।
Tags - criminal law news3 new criminal lawsJharkhand Highcourt