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आज जिस नियुक्ति का श्रेय ले रहे हेमंत सोरेन, कभी उसको लटकाने के लिए करते थे प्रपंचः रघुवर दास

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रांची: 
आज 3469 शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नवनियुक्त शिक्षकों को बधाई दी है और कहा है कि कड़े संघर्ष और युवा विरोधी हेमंत सरकार को हराकर नौकरी पाने वाले हाई स्कूल शिक्षकों को मैं बधाई देता हूं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा  कि अगर कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं हुआ होता तो इन शिक्षकों को आज नियुक्ति नहीं मिलती।  उन्होंने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं  हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि युवाओं और नौकरियों के बीच अब कोई बाधा खड़ी न करें। उनका कैरियर तबाह नहीं करें।


हेमंत सरकार ने किया था प्रपंच
रघुवर दास ने आगे कहा है कि हेमंत जी की परेशानियों को मैं समझता हूं। जिन नियुक्तियों को ये रघुवर सरकार का पाप कहते थे आज उन्हीं नियुक्तियों का श्रेय लेने के लिए अखबारों में विज्ञापन छपवाना पड़ रहा है। खेल गांव में समारोह करना पड़ रहा है। मैं हेमंत सोरेन को बताना चाहता हूं कि नियुक्तियां पाप नहीं बल्कि पुण्य का कार्य होती हैं। आज जब हेमंत सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आगे विवश होकर हाईस्कूल शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देना पड़ा है, तो जनता को ये जानने का हक है कि इन नियुक्तियों को रोकने के लिए हेमंत सरकार ने क्या-क्या प्रपंच किये हैं?


2016 में शुरू हुई थी नियुक्ति प्रक्रिया 
पूर्व सीएम ने बताया है कि हाईस्कूल के 17,786 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। तब भाजपा की सरकार थी। हजारों युवाओं को नियुक्ति पत्र मेरी सरकार दे चुकी थी। प्रक्रिया के अंतिम चरण में यह मामला कोर्ट में चला गया। इस कारण बाकी कि प्रक्रिया लंबित हो गयी। हेमंत सरकार जैसे ही सरकार में आई सबसे पहले नियुक्तियों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। ने का काम किया। न्यायालय में मजबूती से पक्ष रखने की बजाय मुख्यमंत्री सहित पूरी सरकार झारखंड के युवाओं को नौकरी नहीं मिले इसके लिए प्रयास करती रही। हेमंत सरकार ने मेरी सरकार में शुरू की गयी नियुक्तियों से संबंधित सभी विज्ञापनों को ही वापस लेने का आदेश दिया। उन्हीं विज्ञापनों में पंचायत सचिव व लिपिक का भी विज्ञापन था। इस सरकार को यह डर था कि इन नियुक्तियों का श्रेय भाजपा सरकार को चला जायेगा। हेमंत सरकार ने युवाओं के भविष्य को अधर में लटकाकर नियुक्तियों  को रोक रखा था। आज जिन शिक्षकों की नियुक्ति का श्रेय लेने की कोशिश में वह हैं, उसके वास्तविक हकदार वो सारे युवा हैं, जिन्होंने मजबूती से लड़े और सर्वोच्च न्यायालय में रखा। फैसला उनके हक में आया। यह नियुक्ति हेमंत सरकार के मुंह पर युवाओं का करारा तमाचा है।


 नहीं देना चाहते थे नियुक्ति 
रघुवर दास ने बताया है हेमंत सोरेन आखिरी समय तक भी नियुक्ति नहीं करना चाहते थे। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद टालमटोल करती रही। युवा अभ्यर्थियों ने हेमंत सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका तक दायर की। उसके बाद कोर्ट ने मुख्य सचिव को सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया था। तब जाकर नियुक्ति मिलना संभव हो पाया। अभी तो हेमंत सरकार को पंचायत सचिव और लिपिकों को भी नियुक्ति पत्र देना पड़ेगा। हेमंत सरकार की लटकाओ, अटकाओ और भटकाओ की राजनीति की वजह से हमारे झारखंड के हजारों युवा पिछले तीन-चार साल से अपने हक के लिए भटक रहे हैं। उनके ये जो कीमती साल बर्बाद हुए हैं, क्या हेमंत सोरेन उन्हें वापस कर पायेंगे?