logo

महाशिवरात्रि पर सजकर तैयार बाबा बैद्यनाथ धाम, यहां एक साथ विराजते हैं शिव-पार्वती 

ी4ू4.jpg

द फॉलोअप डेस्क
महाशिवरात्रि के अवसर पर झारखंड के देवघर में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसे में बाबा नगरी को दुल्हन की तरह सजाकर तैयार किया गया है। यहां शहर की सड़कों पर बिछाई गई रोशनियां और आकर्षक आकृतियां रात के अंधेरे को दूर करने वाली है। देवघर के चौक-चौराहों पर इन खूबसूरत सजावटों का दृश्य एक अलग ही आकर्षण पैदा कर रहा है। यह सजावट रात के समय शहर की सुंदरता में चार चांद लगा रही है।

महाशिवरात्रि पर होता है विशेष आयोजन
26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर देवघर में विशेष रूप से भव्य आयोजन किए जाते हैं। इस बार भी यह परंपरा धूमधाम से मनाई जाने वाली है। हर साल की तरह शहर को सजाने का काम इस बार जिला प्रशासन और राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने किया है। इस बार देवघर में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, क्योंकि पहली बार शिव बारात का आयोजन शिव बारात समिति की बजाय जिला प्रशासन की ओर से निकाली जाएगी। इस नये आयोजन की तैयारी पूरी जोर-शोर से चल रही है, ताकि इस महाशिवरात्रि को और भी भव्य तरीके से मनाया जा सके।महादेव करते हैं मनोकामना पूरी
जानकारी हो कि बाबाधाम में भगवान शिव के साथ साक्षात माता पार्वती विराजती हैं। ऐसा कहा जाता है यहां भोलेनाथ अपने भक्तों की मन्नत भी पूरी करते हैं। देवघर का अर्थ ही है 'देवताओं का घर'। यहां के कण-कण में महादेव का वास है। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना महादेव जरूर पूरी करते हैं। इसी कारण यहां विराजित शिवलिंग को कामनालिंग के रूप में भी जाना जाता है। 

शिव और शक्ति का मिलन स्थल है बाबा धाम
बताया जाता है कि बाबा बैद्यनाथ धाम 'शिव और शक्ति के मिलन स्थल' के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव के साथ मां शक्ति भी विराजमान हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र में भी इसका उल्लेख 'परल्या वैद्यनाथं' के रूप में होता है। मालूम हो कि बाबा बैद्यनाथ धाम में माता सती का हृदय गिरा था। इसके साथ ही शिवलिंग के रूप में महादेव भी विराजमान हैं। बाबा बैद्यनाथ धाम एक मात्र ऐसा धाम है, जहां शिव-पार्वती का गठबंधन होता है। इसके साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि यह 'शिव और शक्ति का मिलन स्थल' है। इसी वजह से बाबा बैद्यनाथ धाम को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे श्रेष्ठ भी माना जाता है।

देवघर में गिरा था माता का हृदय
धार्मिक ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख है कि जब भगवान शिव माता सती की देह को लेकर भटक रहे थे। तब उनकी स्थिति को देखकर चिंतित भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए थे। माता सती के शरीर के ये 51 अंग धरती पर जहां-जहां गिरे वहां आज शक्तिपीठ स्थित है। देवघर में माता सती का हृदय गिरा था, जिस स्थान को 'हृदयापीठ' के नाम से जाना जाता है।

Tags - Deoghar Baba Baidyanath Dham Shakti Peeth Mahashivratri Jharkhand News Latest News Breaking News