द फॉलोअप डेस्कः
रिम्स में पसरे गंदगी को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी बिफरे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से कहा है कि रिम्स की जल्द साफ-सफाई कराएं। दरअसल रिम्स में राज्य के अलग-अलग हिस्सों से लोग इलाज कराने आते हैं। लेकिन अस्पताल की व्यवस्था खराब होती जा रही है। पहले से ही अस्पताल में वार्ड ब्वॉय की कमी है। सफाई कर्मचारियों का वेतन कई महीनों से रुका हुआ है। अब मॉनसून आ चुका है और बारिश भी हो रही है। लेकिन रिम्स में साफ-सफाई की व्यवस्था ऐसी है कि इलाज कराने आये मरीज अपनी-अपनी बीमारियों का इलाज तो कराएंगे ही, लेकिन हो सकता है लौटते वक्त डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों को भी साथ ले जाएं। रिम्स के अंदर और बाहर दोनों ही जगह गंदे पानी का जमाव हो रहा है। जिससे इस मौसम में डेंगू और मलेरिया के मच्छरों के पनपने का खतरा बना हुआ है। कहीं नाली का गंदा पानी जम रहा है, तो कहीं बरसात का। पर उसे साफ करने वाले कोई नहीं।
रिम्स के बाहर भी गंदगी
रिम्स की सफाई व्यवस्था तो चरमराई हुई है ही, रिम्स के बाहर भी साफ- सफाई की व्यवस्था ठप है। रिम्स के बाहर कचरे का अंबार जमा रहता है, जिसमें बारिश होने पर गंदा पानी जम जाता है। हालांकि रिम्स के मुख्य गेट के पास मौजूद मंदिर के बगल में कचरे का अंबार लगा रहता है। पहले यहां डस्टिबन की सुविधा थी, पर अब नहीं है। सड़क के किनारे ही कचरा पसरा रहता है। रिम्स के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक और मुख्य बिल्डिंग के बीच में भी गंदगी और जलजमाव की समस्या है।
बाबूलाल हुए नाराज
बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि 'झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल परिसर की ये दूषित नालियां गंभीर बीमारियों को निमंत्रण दे रहीं हैं। मॉनसून से पहले सभी सरकारी अस्पतालों की विशेष साफ-सफाई करानी चाहिए थी, लेकिन सरकार में बैठा हर जिम्मेदार व्यक्ति सिर्फ अपने स्वार्थ, अपनी कुर्सी, अपनी तिजोरी भरने की चिंता कर रहा है। मरीजों को बस भगवान भरोसे ही छोड़ दिया गया है। स्थिति इतनी बदतर है कि अस्पतालों की सिर्फ नालियां ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग का पूरा सिस्टम ही बजबजा गया है। बन्ना गुप्ता जी अतिशीघ्र राज्य के सभी अस्पतालों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाकर मरीजों को इस नरकीय वातावरण से मुक्ति दिलाएं।"