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निकाय चुनाव के बिना कैसे गांव से चली हेमंत सरकार, ये लोकतंत्र के भक्षक हैं– बाबूलाल मरांडी

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द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड में शहरी निकाय का चुनाव नहीं कराए जाने पर झारखंड हाईकोर्ट नाराज है। पूर्व पार्षद रोशनी खलखो की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार को दो सप्ताह में चुनाव पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि चार वर्षों तक निकाय चुनाव नहीं कराया जाना लोकतंत्र की हत्या है। इस मामले पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर कहा है कि ये कौन सी गांवों से चलने वाली सरकार है, जहां पिछले 4 सालों से चुनाव ही नहीं हुए?

 

बाबूलाल ने लिखा है कि "इंदिरा भी झुकी थीं , हेमंत भी झुकेंगे ...संविधान और लोकतंत्र के आगे किसी का न चलेगा। हेमंत सोरेन और इंडी गठबंधन वाले चुनाव प्रचार के दौरान खुद को संविधान का रक्षक, लोकतन्त्र के इकलौते चिंतक तो बताते हैं, लेकिन जब सत्ता के शीर्ष पर पहुंच जाते हैं तो सबसे बड़े भक्षक बन जाते हैं। झारखंड में 4 सालों से नगर निकाय चुनाव नहीं कराए गए, हाईकोर्ट द्वारा लगातार निर्देश देने के बाद भी ये संविधान और लोकतंत्र को मानने का नाटक करने वालों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही।" 

उन्होंने आगे लिखा कि "हैरानी की बात तो ये है, इसके बाद भी हेमंत सोरेन कहते हैं कि उनकी सरकार गांवों से चलती है, झारखंड की जनता पूछना चाहती है ये कौन सी गांवों से चलने वाली सरकार है, जहां पिछले 4 सालों से चुनाव ही नहीं हुए? एक वक्त तब था, जब आपातकाल थोपने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश के चुनावों पर अपनी मनमर्जी चलाई थी, और एक आज का वक्त  है  झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री निकाय चुनावों को हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं करा रहे हैं। खैर, अंत का आगाज ऐसे ही होता है।"

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