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Budget Session 2022 : महोदय! 26 महीने में एक भी योजना के उद्घाटन का नारियल नहीं तोड़ सकी सरकार: नवीन जायसवाल

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रांची: 

ग्रामीण विकास विभाग के अनुदान मांग पर चर्चा करते हुए भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि पिछले 26 महीने से विकास योजना के उदघाटन का नारियल नहीं फोड़ सके हैं। वजह साफ है कि इस अवधि में किसी भी योजना पर काम नहीं हुआ है। ग्रामीण विकास विभाग में सरकार महज 17 प्रतिशत राशि ही खर्च हो सकी है। 

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का बुरा हाल! 
विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि ग्रामीण सड़क के लिए पिछले बजट में 2000 करोड़ की व्यवस्था की गई थी लेकिन खर्च मात्र 300 करोड़ हुआ। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पिछले बजट में मरम्मती के लिए 1500 किलोमीटर का लक्ष्य रखा गया था लेकिन काम हुआ मात्र 108 किमी सड़क का।  यह राकेट वाली सरकार है। 12 महीने में काम नहीं हुआ लेकिन 12 दिन में यह सरकार राशि खर्च कर देगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से कई योजनाओं में राज्य सरकार को अनुदान मिलता है। दुर्भाग्य है कि इनमें से कई योजनाएं ऐसी है जिसे राज्य सरकार ने शुरू नहीं किया है। 

सरकार पंचायत चुनाव नहीं करना चाहती 
नवीन ने कहा कि सरकार पंचायत चुनाव नहीं करना चाहती है। वर्ष 2000 से पंचायत चुनाव लंबित है। कहा कि इस बीच राज्य में दुमका, बेरमो और मधुपुर में विधानसभा उप चुनाव हो गए पर पंचायत चुनाव कराने के नाम पर कोरोना बहाना मिल गया। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण देने का गाइडलाइन जारी किया है। झारखंड में अबत क इसपर कोई काम नहीं हुआ।


पिछली सरकार में 22865 किमी सड़क का निर्माण हुआ। यानी हर वर्ष 4573 किमी सड़क बनता था। दुर्भाग्य है कि जब से यह सरकार बनी है मात्र 270 किमी सड़क का निर्माण हो रहा है। निविदा निकलने से 15 दिन  पहले ही यह तय हो जाता है कि टेंडर किसको मिलना है। 

छोटे दुकानदारों को सरकार फांसी लगा रही है 
उन्होनें कहा कि इस राज्य में चाय पान बेचने वाले छोटे दुकानदारों को सरकार फांसी लगा रही है। यदि कोई दुकानदार पान- सिगरेट बेचता है और वह बिस्किट, पानी बेचेगा तो उस पर कानूनी करवाई की जाएगी। कहा कि सरकार गरीबों पर बुलडोजर चला रही है।

अधिकारी की नजर सरकार की चिट्ठी पर नहीं गांधी जी पर रहती है
नवीन ने सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते हुए कहा की इस सरकार में अधिकारी सरकार की नहीं सुनते। अधिकारी की नजर सरकार की चिट्ठी पर नहीं बल्कि गांधी जी पर रहती है। जो जितना माल देता है उसका बोलबाला है इस सरकार में। नामकुम में आदिवासी सीओ आया उसने सरकार को टॉपअप रिचार्ज नहीं किया यो 3 महीने में ट्रांसफर जो गया।  यहीं शुभ्रा रानी एक सीओ आयी। गरीब आदिवासियो को लूटी और महारानी बनकर चली गयी।