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वन महोत्स्व में बोले मुख्यमंत्री- धरती पर ऐसा कोई खनिज संपदा नहीं, जो इस राज्य में नहीं है

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द फॉलोअप डेस्क, रांची 
वन महोत्स्व में शामिल हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा की आपको इस बात का जानकारी होगा इस राज्य को जल-जंगल-जमीन के लिए हमलोग इसको ज्यादा प्रेम करते हैं. लेकिन दुनिया के लोग, इस देश के लोग इस राज्य को खनिज संपदा के लिए ज्यादा प्रेम करते हैं. क्योंकि देश का 42-45% जो खनिज है वह इस राज्य में है. कोई ऐसा खनिज संपदा धरती पर नहीं है, जो इस राज्य में नहीं है. जो इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली खनिज है जिसको परमाणु कहते हैं उसका खनिज भी हमारे राज्य में है और परमाणु को लेकर पूरे दुनिया में आजकल लोग अपने आप को सबसे बड़ा और सबसे बहादुर देश के रूप में गिने जाते हैं, और परमाणु किससे बनता है वह खनिज हमारे राज्य में मिलता है. लेकिन इससे इस राज्य के मूलवासी-आदिवासियों को बहुत ज्यादा ना लेना-देना रहा ना लगाव रहा. न ही आज के दिन में उन सभी को बहुत ज्यादा फायदा मिलता है. हां जरूर इस खनिज संपदा को निकालने के लिए यहां के लोग खनिज संपदा को बड़े पैमाने पर विस्थापित जरूर हुए. जो भी हल्का-फुल्का किसी को मुआवजा मिला तो मिला परिवार में किसी एक आदमी को नौकरी मिला तो मिला नहीं तो वह भी नहीं। क्योंकि यहां की लोगों जो संस्कृति, सभ्यता है वह बिल्कुल ही अपने आप में अनूठा है, और इसी खूबसूरत वादियों के साथ सब कुछ इसी पर यहां के आदिवासियों का सबकुछ निर्भर करता है. 

हमारे पूर्वजों के समय कलाइमेट चेंज की चर्चा नहीं होती थी 

सीएम ने कहा आज इस भौतिकवादी के रूप में कई ऐसे विकास की कार्य हो रही है, जो कहीं ना कहीं मानव जीवन में और मानव सभ्यता के लिए बहुत चुनौती भरा है और इसी को लेकर आज क्लाइमेट चेंज पर हम चर्चा कर रहे हैं. आज जंगलों को कैसे बचाया जाए इस पर काम किया जा रहा है जो हमारे पूर्वज हुआ करते थे. जो हमारे दादा परदादा हुआ करते थे. उस समय क्लाइमेट चेंज की चर्चा नहीं होती थी. उस समय जंगलों को बचाने की मुहिम नहीं चलाई जाती थी वे लोग इतने पढ़े लिखे लोग भी नहीं थे. लेकिन उन गरीब लोगों ने बड़ी शिद्दत, ईमानदारी के साथ अपने जंगलों को अपना जीवन का एक अभिन्न अंग समझा था.


गर्मियां में बिहार विधानसभा सत्र झारखंड में होता था

उन्होंने कहा की कभी बिहार में समर कैपिटल हुआ करता था तब बिहार में गर्मियां में विधानसभा सत्र झारखंड में होता था. किस तरीके का वातावरण राज्य का था. यहां कभी चाय के बागान भी हुआ करते थे. लेकिन यह सारे विलुप्त हो गए. यह समस्या कहीं बाहर से नहीं आया है जो आज हम तंबू लगाकर पर चर्चा कर रहे हैं. यह हमने खुद से खड़ा किया और अगर समस्या का समाधान हम खुद ना निकाले तो कोई नहीं निकाल सकता। जब तक हर व्यक्ति इस बात के लिए संकल्पित ना हो प्याज किसी भी कीमत पर हमें राज्य को हरा-भरा रखना है. अपने घर अपने आंगन को हरा-भरा रखना है. 

गैरकानूनी रूप से वृक्ष की कटाई रोकने के लिये टोल-फ्री नंबर हमने जारी किया 

कहा की इससे पहले वन महोत्सव था उस वन महोत्सव में मैंने विभाग से कहा था अप राज्य के अंदर एक ऐसा टोल-फ्री नंबर जारी कीजिए और राज्य के लोगों को बताइए इस नंबर पर जंगल में कोई भी पेड़ की कटाई हो अवैध खनन हो तो उस नंबर पर लोग फोन करें और उस पर त्वरित कार्रवाई करें। हालांकि यह तो मैंने बोला जरूर लेकिन मुझे विभाग में दोबारा नहीं बताया कि हमें टोल-फ्री नंबर जारी किया। लेकिन आज पता चला कि यह टोल-फ्री नंबर काम कर रहा है. हजारों की संख्या में शिकायतें भी आई है और इसका पालन भी बोला और आज टोल-फ्री को यहां उपलब्ध किताबे में दर्शाई गई है. लेकिन आज वन महोत्सव के अवसर पर ही सही हम लोग जितने भी एकत्रित हैं. यहां पर सभी लोग कम से कम इस संकल्प के साथ जाएं की यहां जितने लोग हैं सभी लोग एक-एक पेड़ भी लगा ले तो यह जो पूरा मैदान है वह जंगल से भर जाएगा।

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