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महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस ने केंद्र पर साधा निशाना, कहा- चुनावी फायदे के मद्देनजर इस बिल को लाया गया

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द फॉलोअप टीम, रांची 
राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री ने देश की महिलाओं को भी नहीं बख्शा। कांग्रेस पार्टी सदैव से ही महिला सशक्तिकरण और महिला बिल को संसद से पारित किये जाने की पक्षधर रही है। आसन्न चुनावों को देखते हुए महिला बिल पारित कराने की याद भारतीय जनता पार्टी को आ गई। महिलाओं को अगर अधिकार और भागीदारी दिलाने की मंशा भारतीय जनता पार्टी को होती तो 2010 में राज्यसभा से पारित बिल को ही लोकसभा में लेकर भाजपा को जाना चाहिए। सब कुछ जानते समझते हुए बल्कि हम यह कह सकते हैं कि चुनावी फायदे के मद्देनजर इस बिल को लाया गया है। इसे उनकी खोटी नियत सामने आ गयी है। अगर हम बिल की ही चर्चा करें तो महिला आरक्षण के पूर्व जनगणना और परिसिमन का होना अनिवार्य है जो वर्तमान परिस्थिति में 2029 के पूर्व संभव ही नहीं है। ये बातें प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने प्रेस वार्ता में कही है।

स्थानीय निकायों में महिलाओं का आरक्षण कांग्रेस की देन 

उन्होंन कहा कि अधीनियम के संदर्भ में स्थानीय निकायों में महिलाओं की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन स्व. राजीव गांधी द्वारा ही लगाया गया था जो सिर्फ सात वोटों से गिर गया था, बाद में कांग्रेस के सरकार ने ही पूर्व प्रधानमंत्री पी.बी. निरसिंम्हा राव के नेतृत्व में इस बिल को पारित कराया था और इसी संशोधन का परिणाम है देश भर के स्थानीय निकायों में 15 लाख निर्वाचित महिला नेत्री मौजूद है। कांग्रेस पार्टी मानती है और नारी शक्ति वंदन अधीनियम का पूर्णतया समर्थन करती है और इस बिल के पारित होने से हमें बेहद प्रसन्नता है। परंतु इसके साथ पार्टी चिंतित भी है कि महिला शक्ति विगत 13 वर्षों से राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतेजार कर रही है, उन्हें और इंतेजार करने को कहा जा रहा है। आधी आबादी के साथ सरकार का यह बर्ताव सर्वथा अनुचित है। 


बिल अविलंब अम्ल में लाया जाये- आलमगीर आलम 

वहीं प्रेस वार्ता में शामिल हुए सीएलपी लीडर सह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि यह बिल अविलंब अमल में लाया जाए साथ ही साथ जातिय जनगणना कराकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं ओबीसी महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था की जाए। हमारे नेता आदरणीय राहुल गांधी ने भी महिला आरक्षण विधेयक में महिलाओं के लिए आरक्षित प्रस्तावित 33 प्रतिशत सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोटा निर्धारित करने की मांग की है। 

उन्होंने आंकड़े रखते हुए यह बताया कि किस प्रकार से वर्तमान स्थति में भारत सरकार के 90 सचिवों में से केवल 3 व्यक्ति ओबीसी के हैं और भारत के बजट का 5 प्रशित नियंत्रण करते हैं। इससे साफ पता चलता है कि ओबीसी का प्रतिनिधित्व कितना कम है और वर्तमान की एनडीए सरकार का ओबीसी को लेकर किस प्रकार से असंवेदनशील रवैया है। आलम ने कहा कि “सरकार जिन चीज़ों से सबका ध्यान भटकाना पसंद करती है उनमें से एक है अडानी प्रकरण। दूसरा महत्वपूर्ण विषय है जाति जनगणना, जैसे ही विपक्ष जाति जनगणना का मुद्दा उठाता है, भाजपा एक नई व्याकुलता पैदा करने की कोशिश करती है। ताकि ओबीसी ख्अन्य पिछड़ा वर्ग, समुदाय और भारत के लोग दूसरी तरफ देखें।