logo

बिहार में फिर लौटा कोरोना, पटना में दो केस मिले, अलर्ट पर स्वास्थ्य विभाग

CORONA10.jpg

द फॉलोअप डेस्क
बिहार की राजधानी पटना में लगभग एक वर्ष के अंतराल के बाद कोरोना वायरस के दो नए मामलों की पुष्टि हुई है, जिससे स्वास्थ्य महकमे में सतर्कता बढ़ गई है। दोनों संक्रमित मरीजों की पहचान बेली रोड स्थित एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में हुई है। इनमें से एक मरीज ने अस्पताल के साथ-साथ एक निजी लैब में भी जांच कराई थी, जहां दोनों स्थानों पर उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। फिलहाल दोनों मरीज खतरे से बाहर हैं। दोनों मरीज 22 मई को बुखार, सर्दी-खांसी, सांस लेने में परेशानी और ऑक्सीजन स्तर में गिरावट जैसी शिकायतों के साथ अस्पताल पहुंचे थे। एक मरीज की स्थिति गंभीर होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती किया गया, जबकि दूसरे मरीज का इलाज ओपीडी में किया गया। अस्पताल में भर्ती मरीज तीन दिनों में स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो गया। अस्पताल प्रबंधन ने इन मामलों की जानकारी संबंधित सिविल सर्जन कार्यालय को सौंप दी है।


सरकारी अस्पतालों में अब भी बंद है मुफ्त जांच सुविधा
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पटना के सरकारी अस्पतालों में कोरोना की निःशुल्क जांच की सुविधा पिछले एक साल से बंद है। सिविल सर्जन कार्यालय ने बताया कि इस संबंध में अब तक सरकार से कोई नया निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। निजी लैब में जांच का खर्च 1000 से 1400 रुपये होने के कारण कई लक्षण वाले लोग भी जांच से बच रहे हैं। वर्तमान में सर्दी-खांसी के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन अधिकांश लोग मौसम में बदलाव को देखते हुए केवल लक्षणों के आधार पर इलाज करवा रहे हैं।


स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं
देश के अन्य हिस्सों में कोविड के JN.1 वेरिएंट के बढ़ते मामलों को देखते हुए बिहार स्वास्थ्य विभाग ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। हालांकि राज्य में इस वेरिएंट का अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि, "इस समय राज्य में घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर मास्क का उपयोग करें और यदि फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दें तो खुद को आइसोलेट करें।" उन्होंने आगे कहा, "टीकाकरण के चलते जोखिम कम हुआ है, लेकिन कोविड प्रोटोकॉल और व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना अब भी ज़रूरी है।"