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शीतकालीन सत्र : सत्तापक्ष के विधायकों ने की बाबूलाल पर कार्रवाई की मांग, बोले स्पीकर- नियमों के हिसाब से लेंगे फैसला

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द फॉलोअप डेस्कः

शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन दोबारा से कार्यवाही शुरू होते ही बाबूलाल मामले को लेकर हंगामा शुरू हो गया। शून्यकाल शुरू होने के पहले प्रदीप यादव ने कहा कि स्पीकर महोदय इससे पहले की हमलोग आगे बढ़ें, बाबूलाल मरांडी ने जो सदन पर आक्षेप लगाया है उसका पटाक्षेप करें। इसके बाद झामुमो के वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी ने प्रदीप यादव का समर्थन करते हुए कहा कि सदन पर आक्षेप लग रहा है। यह गंभीर है, अवमानना का मामला है। कार्रवाई करें। प्रदीप यादव और स्टीफन मरांडी के बाद आलमगीर आलम और सरफराज अहमद ने भी कार्रवाई की मांग की। स्पीकर ने कहा कि जो नियम के मुताबिक जो होगा, वही किया जाएगा। 


बाबूलाल सीनियर हैं, उन्हें बाहर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए

वरिष्ठ विधायक सरफराज अहमद ने कहा कि बाबूलाल मरांडी सीनियर नेता हैं। उन्हें बाहर में आसन के ऊपर ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भी प्रदीप यादव की मांग को सही बताया। उन्होंने कहा कि बाहर में भी आसान और आक्षेप लगाना सही नहीं है। यह सदन की अवमानना है। 

चार साल में एक बार भी बोलने का मौका नहीं

सत्ता पक्ष द्वारा बाबूलाल मरांडी पर कार्रवाई की मांग पर रांची विधायक सीपी सिंह ने कहा कि बाबूलाल जी को 4 साल में एक बार भी बोलने का मौका नहीं दिया गया। 3 बार कल हाथ उठाये लेकिन, उन्हें नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग किस मुंह से अवमानना की बात कर रहे हैं। इनके नेता (राहुल गांधी) लोकसभा में मिमिक्री करने वालों का वीडियो बनाते हैं।

प्रदीप यादव माफी मांगो के नारे गूंजते रहे

एक ओर सत्ता पक्ष द्वारा बाबूलाल मरांडी पर कार्रवाई की मांग होती रही। दूसरी ओर विपक्ष (बीजेपी) के विधायक प्रदीप यादव माफी मांगो के नारे लगाते रहे। बीच में स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो हंगामा कर रहे विधायकों से अपनी सीट पर बैठने का आग्रह करते रहे।

ये है पूरा मामला

कार्यवाही शुरू होते ही प्रदीप यादव ने व्यवस्था के तहत स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो को बताया था कि बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को मीडिया के समक्ष जाकर आसन पर आक्षेप लगाया है जो कि सदन की अवमानना है। यह विशेषाधिकार का मामला है। बाबूलाल मरांडी पर कार्रवाई हो। इसके बाद सत्ता पक्ष के दूसरे कई विधायक भी यह मांग करने लगे। दरअसल, बाबूलाल ने मीडिया को बताया था कि 1932 विधेयक पास होने के दौरान हो रही चर्चा में वह कुछ बोलना चाहते थे। बार बार हाथ भी उठाया लेकिन उन्हें बोलने दिया गया।