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दुमका : "ना का मतलब ना होता है"...मासूम अंकिता को जलाने वाले शाहरुख जैसे सिरफिरों को मिले कड़ी सजा

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डेस्क: 

अंकिता नहीं रही। ये जला हुआ बिस्तर अंकिता के साथ हुई हैवानियत की भयावह दास्तां कह रहा है। यही वो बिस्तर है जिसपर सो रही अंकिता को शाहरुख नाम के हैवान ने आग के हवाले कर दिया। सिरहाने  रैक पर मासूम सी अंकिता के वो सपने तह करके रखे हुए हैं जो अंकिता के बिना अब अकेले रह गये। अधूरे रह गये। दूसरे रैक में अंकिता की किताबों में उसकी ख्वाहिशें बंद हैं।

अंकिता टीचर बनना चाहती थी लेकिन बेइंतिहा दर्द से गुजरते हुए जैसे ही उसने अपनी आंखें हमेशा के लिए मूंदी, इन किताबों में उसका ख्वाब भी सिमट कर रह गया। बदहवास से बैठे अंकिता के दादा-दादी अब भी विश्वास करने का असफल प्रयास कर रहे हैं कि उनकी मासूम सी बच्ची अब इस दुनिया में नहीं रही।

अंकिता का छोटा भाई,  शायद घर के बाहर जमा भीड़ में से अपनी दीदी की प्यार भरी आवाज की आस लगाए खड़ा है। 

4 दिन तक जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही अंकिता
4 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही अंकिता ने आखिरकार हमेशा के लिए आंखें मूंद ली। अंकिता ने रिम्स में इलाज के दौरान तोड़ दिया। 23 अगस्त को अंकिता को एक सिरफिरे युवक ने आग के हवाले कर दिया था। अंकिता का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने एक सनकी युवक का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। क्या! ये अंकिता का कसूर था कि उसने अपनी पढ़ाई, करियर और सपनों को तरजीह दी। सवाल गंभीर है कि आखिर ये कैसा प्रेम है जिसमें किसी को मौत की आग में झोंक दिया जाये। अंकिता अब इस दुनिया में नहीं रही लेकिन अपने पीछे एक गंभीर सवाल छोड़ गई है कि आखिर लोग कब समझेंगे कि ना का मतलब ना होता है। आरोपी शाहरुख सहित एकतरफा प्यार को फिल्मी जुनून समझ लेने वाले सभी दरिंदो को ये समझ लेने की जरूरत है कि ना का मतलब केवल ना होता है। 

दुमका के जरुवाडीह की रहने वाली थीं नाबालिग अंकिता
दरअसल, दुमका जिला स्थित नगर थानाक्षेत्र अंतर्गत जरुवाडीह की रहने वाली अंकिता 12वीं में पढ़ती थी। शाहरुख नाम का सिरफिरा युवक चाहता था कि अंकिता उससे दोस्ती कर ले। उससे बात करे। उसका, एकतरफा प्रेम-निवेदन स्वीकार कर ले लेकिन अंकिता पढ़ना चाहती थी। अंकिता टीचर बनना चाहती थी। उसे बच्चों को पढ़ाना पसंद था। परिवार वालों से कहती कि टीचर बनकर बच्चों को पढ़ाऊंगी। समाज में बदलाव लाऊंगी। देखिएगा। अंकिता का परिवार गरीब है लेकिन अंकिता का हौसला उन्हें हिम्मत देता था। पिता कहते। तुम्हें जितना पढ़ना है पढ़ो। अंकिता कहती कि खूब पढ़ूंगी। टीचर बनूंगी। देखना, जब नौकरी लग जाएगी ना तो सबकुछ ठीक हो जायेगा। 

लड़कों को समझना होगा कि ना का मतलब ना होता है
वैसे भी! 12वीं में पढ़ने वाली अंकिता की उम्र ही क्या थी। उसे पढ़ना था। कुछ बनना था, लेकिन एकतरफा प्रेम में पड़े एक हैवान ने ना केवल अंकिता को जला दिया बल्कि उसके सपनों, उम्मीदों, ख्वाहिशों की भी चिता जला दी। अंकिता के लिए न्याय की मांग उठी है। समाज में आरोपी के लिए गुस्सा है लेकिन इसी समाज को अभी सीखने की जरूरत है कि लड़कियां, सांस लेती हुई, जीती-जागती इंसान है। कोई वस्तु नहीं, जिसे आप किसी भी कीमत पर बस खरीद लेना चाहते हैं। 

घर पर सो रही अंकिता को पेट्रोल डालकर जलाया
घटना बीते 23 अगस्त की है। बताया जाता है कि अंकिता अपने घर पर सो रही थी। सुबह को तकरीबन 4 बजे आरोपी शाहरुख वहां पहुंचा। खिड़की के जरिए अंकिता पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। बेइंतिहा दर्द से जब अंकिता चीखी तो परिवार के लोग वहां पहुंचे। आनन-फानन में अंकिता को फूलो-झानो हॉस्पिटल ले जाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद अंकिता को रिम्स रेफर कर दिया गया।

अंकिता, 4 दिनों तक रिम्स में जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही। दवा के साथ दुआ भी जारी रही कि अंकिता जल्दी ठीक हो जाये लेकिन ऐसा हो ना सका। हैवान शाहरुख की कुत्सित मानसिकता जीत गई। अंकिता ने 28 अगस्त की सुबह इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अंकिता के साथ ही टूट गई सारी उम्मीदें। खत्म हो गये उसके सपने। एक और लड़की एकतरफा प्यार की बलि चढ़ गई। 

अंकिता को बीते कई दिनों से तंग कर रहा था शाहरुख
अस्पताल में अंकिता और उनके परिजनों ने पुलिस को बताया कि आरोपी शाहरुख बीते काफी दिनों से उसे परेशान कर रहा था। आते-जाते उसे टोकता। छेड़ता और बातचीत करने का दवाब बनाता। फोन करने के लिए फोर्स करता। धमकाता कि मेरा प्रस्ताव नहीं मानी तो बहुत बुरा होगा। शायद, मासूम अंकिता नहीं समझ पाई कि शाहरुख के बहुत बुरा कहने का मतलब आग में झोंक देना होगा।

समझ पाती तो शायद सतर्क हो जाती। मुकाबला कर पाती। अंकिता के पड़ोसियों ने ऑफ कैमरा बताया कि वो काफी होनहार थी और मिलनसार भी। जब भी मिलती, उसके चेहरे पर मासूम सी मुस्कुराहट होती। कभी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं करती। अपनी जिंदगी और पढ़ाई में मशगूल अंकिता के साथ ऐसी हैवानियत होगी, किसी ने नहीं सोचा था। पूरा मोहल्ला अंकिता की मौत से मर्माहत है। 

शिक्षक बनकर समाज में बदलाव लाना चाहती थीं अंकिता
अंकिता की मौत से पूरा परिवार टूट गया है। कभी जिस घर में अंकिता अपनी चहलकदमी, हंसी और शरारतों से मीठा सा शोर मचाए रहती थी वहां मातम पसरा है। अंकिता के दादा-दादी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। बस जार-जार रोते हैं। अंकिता का छोटा भाई समझ नहीं पा रही है कि उसकी प्यारी दीदी के साथ क्या हुआ। अंकिता की मां नहीं है। डेढ़ वर्ष पहले, अंकिता की मां की मौत हो गई थी। वे कैंसर से जूझ रही थीं। पिता अंकिता का शव लेकर दुमका लौट रहे हैं। पिता के कंधे पर उनकी मासूम बेटी की अर्थी का बोझ कितना भारी होगा, ये आप और हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते।