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CM हेमंत सोरेन के खिलाफ अब ये कार्रवाई कर सकती है ED, जानिये कानून क्या कहता है

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द फॉलोअप डेस्कः
जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिए ईडी के दूसरे समन पर उसके सामने हाजिर होने के बजाय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट चले गये हैं। वहां ईडी के समन को चुनौती दी है। दो बार समन होने के बावजूद हेमंत सोरेन ईडी के सामने हाजिर नहीं हुए हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि अब ईडी के पास क्या विकल्प बचता है। दो बार समन के बावजूद हाजिर नहीं होनेवाले व्यक्ति के खिलाफ ईडी को क्या कार्रवाई करने की शक्ति कानून देता है? क्या ईडी अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर सकती है या उसके पास हेमंत सोरेन को तीसरा समन भेजने का भी विकल्प है? आइये कोशिश करते हैं इन सवालों के जवाब ढूंढने की।

समन मिलने पर हाजिर होना ही पड़ेगा
कानून के जानकारों का कहना है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट- 2002 (पीएमएलए) की धारा 11 किसी भी व्यक्ति को हाजिर होने के लिए बाध्य करने, खोजबीन करने, निरीक्षण करने, अभिलेख प्रस्तुत करने आदि के लिए बाध्य करने हेतु ईडी को वही शक्तियां देती है, जो सिविल कोर्ट को कोड ऑफ सिविल प्रोसेज्योर-1908  (सीपीसी) के अंतर्गत किसी सूट के निर्धारण में हासिल है। यानी ईडी को इस धारा के तहत समन जारी करने की शक्ति प्राप्त है। यह प्रावधान पीएमएलए की धारा 11 की उपधारा 1 में है। इसकी उपधारा-2 के मुताबिक, अगर ईडी किसी व्यक्ति को समन भेजती है, तो उस अधिकारी के समक्ष हाजिर होना उस व्यक्ति की बाध्यता होगी। वहीं, उपधारा-3 यह कहती है कि ये सारी प्रक्रिया न्यायिक प्रक्रिया होगी।

समन कितनी बार, इसकी कोई सीमा नहीं
कानून के जानकार बताते हैं कि पीएमएलए में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि समन कितनी बार भेजा जायेगा। इसमें यह भी नहीं बताया गया है कि कितनी बार समन भेजने के बाद अपेक्षित व्यक्ति के हाजिर नहीं होने पर उसे गिरफ्तार किया जायेगा।

गिरफ्तारी का भी प्रावधान, लेकिन शर्तें भी हैं
कानून के जानकारों का कहना है कि पीएमएलए ईडी के अधिकारी को उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है, जिसके बारे में उसके पास यह विश्वास करने का पर्याप्त कारण है कि वह व्यक्ति इस कानून के तहत दंडनीय अपराध किये जाने का दोषी है। यह प्रावधान धारा 19 में है। हालांकि, यह धारा यह भी स्पष्ट करती है कि गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को अपने ऐसे विश्वास के कारण को लिखित में रिकॉर्ड करना होगा। साथ ही, जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा है, उसे यह अनिवार्य रूप से बताना होगा कि उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है। अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले में अगर ईडी के पास उक्त धारा-19 के तहत ठोस सबूतों के अधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि हेमंत सोरेन दोषी हैं, तब ही वह उन्हें गिरफ्तार कर सकती है, अन्यथा नहीं। इसके अलावा गिरफ्तारी के लिए एक शर्त यह भी है कि ईडी के डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर या उनके द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति ने गिरफ्तार करने का आदेश दिया हो। 

गिरफ्तारी से भागने की स्थिति में संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान
कानून के जानकारों का कहना है कि रूल्स यह कहते हैं कि अगर ईडी को विश्वास (जिसका कारण लिखित में रिकॉर्ड किया जायेगा) है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर ईडी के सामने हाजिर होने से भाग रहा है या कोई फैक्ट छिपा रहा है या सबूतों के साथ वह छेड़छाड़ कर सकता है, तो ऐसे हालात में ईडी उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। वहीं, अगर वह व्यक्ति गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो जाये, तो ऐसी स्थिति में धारा 60 के तहत उसकी संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है।

अब हेमंत के साथ क्या करेगी ED
कानून के जानकार कहते हैं कि यहां यह याद रखना जरूरी है कि कानून ने ईडी को समन की किसी अधिकतम संख्या में बांधकर नहीं रखा है। इसलिए ईडी हेमंत सोरेन को हाजिर होने के लिए जितनी बार चाहे, उतनी बार समन भेज सकती है। लेकिन, यहां यह भी ध्यान में रखने की जरूरत है कि हेमंत सोरेन अब ईडी के समन भेजे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख महत्वपूर्ण है। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक ईडी की कार्रवाई (जिसकी शक्ति ईडी को पीएमएलए के तहत मिली हुई है) पर कोई स्टे नहीं लगाया है। जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई स्टे ऑर्डर नहीं आ जाता है, ईडी इस मामले में अपनी कार्रवाई जारी रख सकती है। यानी, वह हेमंत सोरेन को तीसरी बार या उससे अधिक बार भी समन भेज सकती है, या पीएमएलए के तहत मिली शक्तियों और शर्तों के अनुपालन के आधार पर गिरफ्तारी, कुर्की-जब्ती आदि कार्रवाई करने की भी प्रक्रिया अपना सकती है।

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