रांची:
छठी जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर बुधवार को सुनवाई हुई। अब इस मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। प्रार्थियों की ओर से पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता पीएस पटवालिया व प्रशांतभूषण ने बताया कि झारखंड हाइकोर्ट का फैसला गलत है। जेपीएससी द्वारा जारी पहली मेरिट लिस्ट सही थी। जिसमें क्वालिफाइंग मार्क्स को भी जोड़कर रिजल्ट निकाला गया था। विज्ञापन की शर्तों व नियमावली के आधार पर मेरिट लिस्ट जारी हुई थी।
60 लोगों को एडजस्ट नहीं किया जाएगा
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अरनब चौधरी जारी ने खंडपीठ से कहा कि दूसरी मेरिट कोर्ट लिस्ट से बाहर हुए 60 अभ्याथियों का समायोजन नहीं कर सकते हैं। सरकार की ओर से एडवोकेट मेरिट जनरल राजीव कुमार ने कहा कि केवल 38 सीट है, जबकि बाहर हुए अभ्यथियों की संख्या 60 है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आएगा वो सर्वमान्य होगा। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि हाइकोर्ट का जजमेंट गलत है। नियमावली व विज्ञापन के अनुसार एग्रीगेट 40 प्रतिशत होना चाहिए। क्वालिफाइंग मार्क्स भी जोड़ना चाहिए। प्रतिवादियों की तरफ से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा।