द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड में बेरोजगारी की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि स्नातक, परास्नातक और यहां तक कि पीएचडी तक की डिग्री रखने वाले युवा भी चौकीदार की नौकरी पाने के लिए लाइन में खड़े हैं। राज्य में न तो नए उद्योग आ रहे हैं और न ही कोई बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है। ऐसे में छोटे-मोटे पदों के लिए भी भारी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। रविवार को रांची में आयोजित चौकीदार भर्ती परीक्षा इसका स्पष्ट उदाहरण था। शहर के 15 परीक्षा केंद्रों पर बड़ी संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। पुरुलिया रोड स्थित उर्सुलाइन स्कूल से परीक्षा देकर बाहर निकलते हुए कई परीक्षार्थी काफी संतुष्ट नजर आए। कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि सवाल दसवीं स्तर के थे और वे तो पीजी या पीएचडी तक कर चुके हैं, तो खुश होना लाजमी है।
चार परीक्षा केंद्रों पर 50 अभ्यर्थियों से बात करने पर पता चला कि उनमें से 40 स्नातक या उससे ऊपर की योग्यता रखते हैं। इनमें 26 अभ्यर्थी पीजी पास थे, जबकि आठ ने नेट या पीएचडी भी कर रखी थी। जब पूछा गया कि इतनी पढ़ाई के बाद भी चौकीदार की नौकरी क्यों, तो जवाब मिला—"सालों से नौकरी के लिए परीक्षाएं दे रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही। उम्र निकल रही है, इसलिए अब कोई भी नौकरी मिल जाए, वही बहुत है।" चौकीदार की यह परीक्षा केवल दसवीं पास उम्मीदवारों के लिए थी, फिर भी मात्र 10 परीक्षार्थी ही ऐसे मिले जो वास्तव में दसवीं या इंटर पास थे।
इस बार रांची में कुल 295 चौकीदार पदों के लिए 6672 एडमिट कार्ड जारी किए गए थे, लेकिन केवल 4978 उम्मीदवार ही परीक्षा में शामिल हुए। यानी एक पद के लिए औसतन 17 से अधिक दावेदार थे। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत उम्मीदवार ग्रेजुएट या उससे ऊपर की डिग्रीधारी थे। संत अन्ना, उर्सुलाइन और संत जॉन स्कूल समेत कई परीक्षा केंद्रों पर उमड़ी भीड़ ने साफ दिखा दिया कि झारखंड में बेरोजगारी कितनी भयावह हो चुकी है।