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Uttarkashi Tunnel Rescue : 17 दिन के अंधेरे के बाद झारखंड के इन 15 मजदूरों ने देखी जिंदगी की नई रौशनी, सीएम हेमंत बोले- आज आई दिवाली

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द फॉलोअप डेस्क, रांची:

बधाई हो। 17 दिन के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार उत्तरकाशी के सिलक्यारा-डंडालगांव टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकाल लिया गया है। इन 41 मजदूरों में से 15 लोग झारखंड के रहने वाले हैं। झारखंड के उन परिवारों को बहुत बधाई जिनके परिवार का बेटा, भाई या पति 17 दिन के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार अंधेरे सुरंग से जिंदगी की नई रोशनी देखने बाहर निकल आए हैं। झारखंड के उन तमाम परिवारों को बधाई जिन्होंने अपनों के इंतजार में अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल 17 दिन काटे हैं। उस मां को बधाई जिन्होंने बेटे के इंतजार में ये 17 दिन मानों 17 वर्षों की तरह काटे। उस पत्नी को बधाई जो पिछले 17 दिनों से बस यही प्रार्थना किए जा रही थी कि उसका सुहाग सही सलामत उसके पास लौट आए। उन बच्चों को बधाई जो 17 दिनों से इसी इंतजार में थे कि कब सुरंग के अंधेरे से निकलकर उनका पिता उनकी जिंदगी में नई रोशनी लेकर आएंगे।

सिलक्यारा-डंडालगांव टनल में फंसे झारखंड के 15 मजदूरों औऱ उनके परिवार का नाउम्मीदी, डर, अनहोनी की आशंका और डूबते दिल से भरा भयानक इंतजार आखिरकार खत्म हुआ। टनल से 17 दिन बाद निकाले गए झारखंड के इन 15 मजदूरों का परिवार अब राहत की सांस ले पा रहा होगा। 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने श्रमिकों के परिवार को दी बधाई

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर (एक्स) पर लिखा कि "हमारे 41 वीर श्रमिक उत्तराखंड में निर्माणाधीन सुरंग की अनिश्चिता, अंधकार और कंपकंपाती ठंड को मात देकर आज 17 दिनों बाद जंग जीतकर बाहर आए हैं। आप सभी की वीरता और साहस को सलाम। जिस दिन यह हादसा हुआ था उस दिन दीपावली, मगर आपके परिवार के लिए आज दीपावली हुई है। आपके परिवार और समस्त देशवासियों के तटस्थ विश्वास और प्रार्थना को भी मैं नमन करता हूं। इस ऐतिहासिक और साहसिक मुहिम को अंजाम देने में लगी सभी टीमों को हार्दिक धन्यवाद। देश के निर्माण में किसी भी श्रमिक की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रकृति और समय का पहिया बार-बार बता रहा है कि हमारी नीयत और नीति में श्रमिक सुरक्षा और कल्याण महत्वपूर्ण भूमिका में रहे।"

"Our 41 brave workers have emerged victorious today after 17 days, overcoming the uncertainty, darkness and biting cold of the tunnel under construction in Uttarakhand. Salute to all your bravery and courage. The day this accident happened, was Diwali, but today is Diwali for… pic.twitter.com/aefDSY7XsA

12 नवंबर को ढह गया था निर्माणाधीन टनल
12 नवंबर को जब पूरा देश दिवाली मना रहा था। अपने घरों को दीये से रोशन कर रहा था। मिठाइयां खा रहा था। आतिशबाजी कर रहा था तभी उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव टनल का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया। जब पूरा देश दिवाली के दीयों से रोशन था तभी सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर 70 मीटर इलाके में गिरे मलबे की मोटी अंधेरी दीवार के पीछे फंस गए। जब पूरा देश जश्न में डूबा था तभी झारखंड के 15 सहित देशभर के 41 मजदूरों के परिवार पर जैसे गाज गिर गई थी। खबर मिली और लोग सन्न रह गए।

 

रेस्क्यू ऑपरेशन में कई मुश्किलों का सामना किया
आनन-फानन में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया लेकिन इलाके की भू-आकृतिक संरचना ऐसी थी कि रेस्क्यू टीम के हाथ-पांव फूल गए। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी विशेषज्ञों की मदद ली गई। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए मलबे के आर-पार कम से कम 3 फीट चौड़ा पाइप डालना था। इसके लिए हॉरिजोंटल खुदाई करनी थी। खुदाई के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाई गई। हॉरिजोंटल खुदाई में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मशीन मलबे में मौजूद सरिया और धातु से टकराकर टूट गई। मशीन का कुछ हिस्सा मलबे में फंस गया। इसके बाद पहाड़ी के ऊपर से वर्टिकल खुदाई कर मजदूरों को निकालने के उपायों पर काम शुरू हुआ। नीचे रैट माइनर्स के जरिए मैनुअल खुदाई जारी रही। आखिरकार जब रैट माइनर्स ने आखिरी 5 मीटर की खुदाई पूरी कर ली तो देशभऱ में जश्न का माहौल हो गया। 

हादसे के 17वें दिन टनल से निकाले गए मजदूर
17 दिन से टनल में फंसे मजदूरों के परिजनों के चेहरे से उदासी के बादल छंटे और खुशी की रौशनी खिली। एनडीआरएप के करीब 5 लोगों ने अंदर जाकर ट्रॉली स्ट्रेचर के जरिए एक एक कर मजदूरों को बाहर निकाला।  टनल से बाहर निकालने के बाद मजदूरों को एंबुलेंस के जरिए चिन्यालीसौड़ स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। यहां 40 डॉक्टरों की टीम पहसे ही तैनात थी। यहां सभी मजदूरों का इलाज किया जा रहा है। 

टनल में फंसे झारखंड के श्रमिकों की पूरी सूची देखिए
टनल में 17 दिन तक फंसे रहे 41 मजदूरों में से 15 झारखंड के थे। झारखंड के विश्वजीत, सुबोध, अनिल, राजेंद्र, टिंकू, गुणोधर, रंजीत, समीर, महादेव, जमरा, विजय, गणपति, सुक्रम औऱ भुक्तु टनल में फंसे थे। इन 15 में से रांची के 3, खूंटी के 3, गिरिडीह के 2, पश्चिमी सिंहभूम के 1 और पूर्वी सिंहभूम के 6 मजदूर थे।  सुरंग से निकाले जाने के बाद फिलहाल सबका इलाज किया जा रहा है। 

टनल में फंसे मजदूर निकले लेकिन कई सवाल जिंदा है
उम्मीद है कि झारखंड के ये 15 मजदूर जल्दी ही अपने-अपने घर लौट आएंगे। जाहिर है कि उनका सरकारी स्वागत होगा। वादे घोषणाएं होंगी। दावा किया जाएगा कि उन्होंने कैसे सुरंग मे फंसे मजदूरों के परिवार वालों की मदद की थी लेकिन सवाल कई हैं। सवाल श्रम मंत्री से है कि कब रोजगार के लिए झारखंड से पलायन रूकेगा। कब श्रम मंत्री समझेंगे कि मजदूर शौक से नहीं बल्कि भूख की वजह से पलायन करता है। सवाल यह भी है कि जो देश चांद और अंतरिक्ष की ऊंचाइयां नाप रहा है,उसे अंधेरी सुरंग से अपने मजदूरों को निकालने में 17 दिन क्यों लग गए।