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Human trafficking : झारखंड में बच्चों की तस्करी करने वालों की अब ख़ैर नहीं, सीएम की पहल पर लगातार हाे रही धर-पकड़

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रांचीः

झारखंड में हर साल काम के बहाने बहला-फुसलाकर कम उम्र के बच्चे-बच्चियों को मानव तस्कर राज्य से बाहर ले जाते हैं। इनमें आदिवासी लड़कियों की संख्या अधिक रहती है। लेकिन हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने इसके विरुद्ध कमर कस ली है। बच्चों की तस्करी करने वालों की अब ख़ैर नहीं है। सीएम की पहल पर उनकी धर-पकड़ लगातार हाे रही है। इसी कड़ी में मानव तस्करी की शिकार साहेबगंज जिले की पांच बच्चियों और गोड्डा जिले के एक बालक को दिल्ली में मुक्त कराया गया है। वहीं इनके साथ दुमका की एक महिला को भी स्कॉट किया गया है। यह महिला विगत 4 महीने पहले दुमका से अपने ससुराल जाने के लिए बाहर निकली थी और भटक कर दिल्ली पहुंच गई थी ।

मुख्यमंत्री का प्रयास ला रहा रंग

मालूम हो कि मानव तस्करी पर झारखंड सरकार संवेदनशील हैं। मानव तस्करी की घटनाओं पर महिला एवं बाल विकास विभाग, झारखंड सरकार त्वरित कार्रवाई कर रही है। उसी का नतीजा है कि मानव तस्करी के शिकार लोगों को जल्द से जल्द रेस्क्यू किया जा रहा हैं। एकीकृत पुनर्वास सह-संसाधन केंद्र की नोडल पदाधिकारी श्रीमती नचिकेता द्वारा बताया गया कि रेस्क्यू कराए गए बच्चों में एक बच्ची सीमा कुमारी (बदला हुआ नाम) को उनके अपने जीजा द्वारा दिल्ली में चार बार लाकर बेचा गया था। दूसरी बच्ची आरती कुमारी (बदला हुआ नाम) को उनके घर वालों ने ही मानव तस्कर को सौंप दिया था। इस बच्ची को तरह-तरह से मानसिक और शारीरिक यातना दी गई है। वहीं मुक्त कराए गए बालक को भी उनके चाचा द्वारा पंजाब में ले जाकर बेच दिया गया था। 

 

 

सभी जिलों को सख्त निर्देश

महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक ए डोडे द्वारा  सभी जिलों को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चों को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाएगा, उस जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा बच्चों को उनके मूल जिले में पुनर्वास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब इन बच्चों को झारखंड सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि यह बच्चे पुनः मानव तस्करी के शिकार ना हो पाए।
बता दें कि स्थानिक आयुक्त, नई दिल्ली मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली के द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार,  भूले- भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस,  बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है। उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है।

 

मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी

समाज कल्याण, महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार झारखंड लाए जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं, स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC)) के माध्यम से सतत् निगरानी की जाएगी,  ताकि बच्चियों को पुन: मानव तस्करी का शिकार होने से बचाया जा सके। बच्चों को मुक्त कराने वाली टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र के  परामर्शी सुश्री निर्मला खालखो, श्री राहुल कुमार एवं प्रिंस ने बहुत अहम भूमिका निभाई है।