रांची
'जेंडर और क्लाइमेट चेंज पर चित्रकला कार्यशाला' की तीन दिवसीय श्रृंखला की शुरुआत आज डॉ. रामदयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट, राँची में हुई। कार्यशाला का आयोजन 'असर' और 'देशज अभिक्रम' द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। इसमें झारखंड की 19 युवा महिला कलाकार भाग ले रही हैं, जिनमें से अधिकतर आदिवासी समुदाय से संबंध रखती हैं। वे इस पहल में रचनात्मक अभिव्यक्ति के ज़रिए यह दिखा रही हैं कि जलवायु परिवर्तन किस प्रकार महिलाओं और लड़कियों को असमान रूप से प्रभावित करता है।
20 से 22 मई तक चलने वाली इस कार्यशाला का उद्घाटन राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में जलवायु एवं पर्यावरण से जुड़े विमर्शों में आदिवासी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को ज़रूरी बताया। उन्होंने आयोजकों की सराहना करते हुए सुझाव दिए कि चित्रों में वनों की कटाई से लेकर न्यायपूर्ण ऊर्जा संक्रमण जैसे विषयों को शामिल किया जाए।
झारखंड बीते एक दशक में जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों से प्रभावित हुआ है—अनियमित वर्षा, जल संकट और वनों के क्षरण जैसी समस्याओं का सबसे अधिक असर ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की महिलाओं पर पड़ता है। इससे उनका श्रम बढ़ता है, आजीविका संकट में आती है, किशोरियों की शिक्षा प्रभावित होती है और लैंगिक हिंसा की आशंकाएँ भी बढ़ती हैं। बावजूद इसके, जलवायु अनुकूलन और नीतिगत निर्णयों में महिलाओं की भागीदारी सीमित ही रहती है।
यह कार्यशाला 'असर' और 'देशज अभिक्रम' की उस पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य महिलाओं की भूमिका और नेतृत्व को जलवायु कार्रवाई से जोड़ना और जमीनी अनुभवों को रचनात्मक संवाद का माध्यम बनाना है।
देशज अभिक्रम के संस्थापक शेखर ने कहा, “हम ऐसा मंच बनाना चाहते थे जहाँ राज्य की महिला कलाकार अपने अनुभवों को कला के ज़रिए साझा कर सकें।”
असर की जेंडर एंड क्लाइमेट प्रोग्राम डायरेक्टर नेहा सैगल ने कहा, “कला एक शक्तिशाली माध्यम है, और यह कार्यशाला जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भावनात्मक और सुलभ रूप से दर्शाने में मदद करेगी।”
प्रतिभागी कलाकारों की सूची:
रोशनी खलखो, मनीता कुमारी उराँव, सुधा कुमारी, ज्योति वंदना लकड़ा, शुशमी रेखा, निशी कुमारी, अनुकृति टोप्पो, दिव्यश्री, रितेषणा, रंजिता सिंह, सृजिता मल, पिंकी कुमारी, मानसी टोप्पो, काराबी दास, चाँदनी कुमारी, तान्या मिंज, सोफिया मिंज, नीलम निरद और अर्पिता राज निरद। आयोजकों की योजना है कि आगामी महीनों में राँची में इन चित्रों की एक सार्वजनिक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी।