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पलामू : रामचंद्र चंद्रवंशी यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए राज्यपाल रमेश बैस

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पलामू:

राज्यपाल रमेश बैस सोमवार को पलामू के दौरे पर थे। राज्यपाल ने पलामू स्थित तेतरी चंद्रवंशी कॉलेज (विश्रामपुर) तथा लक्ष्मी चंद्रवंशी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया। इस दौरान राज्यपाल ने रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय (विश्रामपुर) के दीक्षांत समारोह में भी हिस्सा लिया। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में छात्रों को उपाधियां बाटीं और संबोधित भी किया। 

राज्यपाल ने पलामू के स्वतंत्रता सेनानी को नमन किया
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि पलामू क्षेत्र वीरों की भूमि रही है। इस माटी में नीलांबर-पीताम्बर जैसे सपूत हुए, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी वीरता से अंग्रेजों का कड़ा मुक़ाबला किया तथा अन्य लोगों को भी आजादी की लड़ाई में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित किया। भारत माता के ऐसे वीरों सपूतों को मैं कोटि-कोटि नमन करता हूँ और उनके प्रति अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं। आज रामचन्द्र चन्द्रवंशी विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह है। यह क्षण हर उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थी के लिए विशेष तो होता ही है, लेकिन अन्य विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणा का कार्य करता है। 

राज्य को विश्वविद्यालय से बहुत सारी अपेक्षाएं हैं
राज्यपाल ने कहा कि मैं श्री रामचन्द्र चंद्रवंशी जी को शिक्षा के क्षेत्र में कार्य आरंभ करने की सोच की सराहना करता हूँ। राज्य में स्थापित इस निजी विश्वविद्यालय से सबको अत्यंत अपेक्षाएं हैं। विश्वविद्यालयों में एक बेहतर आधारभूत संरचना का होना अति आवश्यक है। यू.जी.सी. की गाइडलाइन्स और मापदण्डों का पालन भी सुनिश्चित होना चाहिये। विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रहित का सदा ध्यान रखें। यहां से पढ़े हुए विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर इस विश्वविद्यालय का नाम रौशन करें और गर्व से कह सके कि जीवन में जो उन्होंने सफलता प्राप्त की है उसमें उनके विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है।

 

विद्यार्थी इस राज्य की पूंजी और ब्रांड एबेंसडर हैं
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हमेशा ध्यान रखें कि आप विद्यार्थी इस संस्थान की पूंजी हैं और इसके ब्रांड एम्बेसडर हैं। आपके द्वारा किया गया अच्छा कार्य आपके विश्वविद्यालय को कहीं न कहीं प्रभावित करेगा। इस राज्य में स्थापित निजी विश्वविद्यालय शिक्षा जगत में अपना उल्लेखनीय योगदान देकर अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों के लिए अनुकरणीय बनें।

विश्वविद्यालय की आपसी प्रतिस्पर्धा से ये फायदा होगा! 
कहा कि पहले स्कूल और विश्वविद्यालय सरकार के अधीन होते थे। जब से सरकार ने शिक्षा को निजी क्षेत्र में आने की अनुमति दी, उसके बाद निजी क्षेत्र में अनेक विश्वविद्यालय प्रारंभ हुए। सरकारी तथा निजी क्षेत्र में विद्यालय और विश्वविद्यालय की वजह से उनमें आपस में प्रतिस्पर्धा होने के कारण छात्रों को अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान को चयन करने का मौका मिलता है और निजी संस्थान और भी अच्छा करने की सोचते हैं और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं।

नक्सल प्रभावित कहलाने वाला इलाका शिक्षा का हब बने
यह विश्वविद्यालय अपनी उत्कृष्ट शिक्षण शैली से इस क्षेत्र के अन्य शिक्षण संस्थानों को भी प्रेरित करें तथा कभी पिछड़ा व उग्रवाद प्रभावित कहलाने वाला यह क्षेत्र ज्ञान का अहम केन्द्र बने, एजुकेशन हब बने, जहाँ पूरे राज्य व देश के बच्चों के लिए ज्ञान हासिल करना गर्व की बात हो। इसके लिए आपके संस्थान को कठिन परिश्रम करना होगा। किसी भी शिक्षण संस्थान को समाज का विश्वास प्राप्त होना अति आवश्यक है। इसलिए आपको जन-अपेक्षाओं को पूर्ण करने की दिशा में कार्य करना होगा, जिससे कि विद्यार्थी बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन करें। 

युवाओं को सही दिशा देने की जिम्मेदारी शिक्षण संस्थानों की
राज्यपाल ने कहा कि मैं चाहता हूं कि इस राज्य के अधिक से अधिक विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण करें, जिसमें जाति, धर्म व लिंग कोई रुकावट न बने। खुशी होती है देखकर कि अब झारखंड की बेटियाँ न केवल उच्च शिक्षा ग्रहण करने के प्रति रूचि रख रही हैं, बल्कि बहुत ही अच्छा कर रही हैं और अपनी प्रतिभा से हर क्षेत्र में नए-नए कृतिमान स्थापित कर रही हैं।  भविष्य को दिशा देने का उत्तरदायित्व आप युवाओं पर ही हैं और युवाओं को सही दिशा देने की ज़िम्मेदारी आप जैसे शिक्षण संस्थानों की ही हैं।