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जेल से तो निकले पर क्या जेल की यादों से भी निकल सके हैं हेमंत सोरेन?

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दयानंद राय:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होटवार जेल से तो निकल चुके हैं, पर जेल में रहने के दौरान जेहन में चस्पा हुई यादों के दायरे से नहीं निकल सके हैं। इसकी बानगी इससे मिलती है कि बीते एक सप्ताह में उन्होंने जेल के अनुभवों से जुड़े दो पोस्ट किए हैं। जेल की यादों से जुड़ा पहला पोस्ट उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर दस अगस्त को किया था। सोशल मीडिया पर डाले गये इस पोस्ट में उन्होंने कहा था कि अपने जन्मदिन के मौक़े पर बीते एक साल की स्मृति मेरे मन में अंकित है। वह है यह कैदी का निशान - जो जेल से रिहा होते वक्त मुझे लगाया गया। यह निशान केवल मेरा नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की वर्तमान चुनौतियों का प्रतीक है। जब एक चुने हुए मुख्यमंत्री को बिना किसी सबूत, बिना कोई शिकायत, बिना कोई अपराध जेल में 150 दिनों तक डाल सकते हैं तो फिर ये आम आदिवासियों-दलितों-शोषितों के साथ क्या करेंगे - यह मुझे कहने की आवश्यकता नहीं है। 


और ज़्यादा कृत-संकल्पित हूं
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए, आज के दिन मैं और ज़्यादा कृतसंकल्पित हूं और हर शोषित, वंचित, दलित, पिछड़ा, आदिवासी, मूलवासी के पक्ष में लड़ने के अपने संकल्प को और मजबूत करता हूं। मैं हर उस व्यक्ति-समुदाय के लिए आवाज उठाऊंगा जिसे दबाया गया है, जिसे न्याय से वंचित रखा गया है, जिसे उसके रंग, समुदाय, ख़ान पान, पहनावे के आधार पर सताया जा रहा है। हमें एकजुट होकर एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जहां कानून सभी के लिए समान हो, जहां सत्ता का दुरुपयोग न हो। हां, यह रास्ता आसान नहीं होगा। हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन मुझे विश्वास है कि हम मिलकर इन चुनौतियों को पार कर सकते हैं। क्योंकि हमारे देश की एकता, विविधता में ही हमारी शक्ति है।


दूसरे पोस्ट में लिखीं काव्य पंक्तियां 
जेल की यादों से जुड़ा दूसरा पोस्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पंद्रह अगस्त को सोशल मीडिया में डाला। इस पोस्ट में उन्होंने कहा है कि-
जेल के एकांतवास में अपने महान राष्ट्र के लिये कुछ पंक्तियां लिखीं 
प्यारा देश, 
जहां सब फलें-फूलें, आबाद रहें, 
जाति-पाति के बंधनों से मुक्त, नफरत और कट्टरता से आज़ाद रहें
धार्मिक उत्पीड़न का अंत हो, हम एक साथ खड़े हैं, 
हर संकट में एकजुट, हर ख़ुशी त्योहार में एक रंग, एक संग
इस विशाल संसार में हम भारतीय जहाँ भी जाएँ, 
हमारे दिल तुम्हारे लिए धड़कते रहें, आपका यशगान सदैव करते रहें
हमारा घर, हमारी शक्ति, हमारा गौरव, 
हमारा प्यारा देश।


जेल से निकलने के बाद बदल गया है लुक
जमीन घोटाला मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक फरवरी को न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा जेल भेजा गया था। वहां से वे 150 दिन बिताने के बाद 28 जून को बाहर निकले। पांच महीने तक जेल में बंद हेमंत सोरेन जब बाहर निकले तो उनकी दाढ़ी-मूंछ बढ़ी हुई थी। काफी हद तक उनके इस रूप में झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की युवावस्था की छवि दिख रही थी। जेल जाने से पहले हेमंत सोरेन की मूंछ दाढ़ी इस प्रकार बढ़ी हुई नहीं थी।
पीड़ा को मिल रही अभिव्यक्ति
झामुमो प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री ने कहा कि एक चुने हुए मुख्यमंत्री को बेबुनियाद आरोपों पर पांच महीने तक जेल में रखा गया। उसी पीड़ा को वे अभिव्यक्ति दे रहे हैं। हालांकि, इस दौरान भी वे राज्य की जनता के लिए वे सोचते रहे, उन्होंने मुख्यमंत्री मंईंयां सम्मान योजना को अपने जेल के दिनों में आकार दिया। अब वे इसे लागू करवाने में जुटे हैं। हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पाल इससे इत्तेफाक नहीं रखते, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनावों से पहले खुद को विक्टिम के रूप में प्रेजेंट कर रहे हैं। यह और कुछ नहीं बल्कि जनता की सिंपैथी लेने की कोशिश है। जेल में रहने के दौरान निश्चय ही उन्हें कुछ बुरे अनुभव हुए होंगे और इसी को वे अभिव्यक्त कर रहे हैं। इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार शंभु नाथ चौधरी इस मसले पर कहते हैं कि हाई कोर्ट ने जिस तरह हेमंत सोरेन पर लगाये गये आरोपों को बेबुनियाद बताया है, उससे यह तो साफ है कि उनके साथ नाइंसाफी की गयी और इसी नाइंसाफी को वे चुनावों से पहले एक नैरेटिव के तौर पर मजबूती दे रहे हैं।

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