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मुख्यमंत्री हेमतं सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले में 23 जून यानी आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा है। 11 जुलाई को इस पर सुनवाई होनी है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से 11 जुलाई तक का वक्त मांगा है। मामले में कोर्ट में अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने मुख्यमंत्री का पक्ष रखा।
कपिल सिब्बल ने रखा राज्य सरकार का पक्ष
कोर्ट में मामले की वर्चुअल सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने झारखंड सरकार का पक्ष हाईकोर्ट में रखा। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ. रविरंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच में हुई। मामले में पार्थी शिवशंकर शर्मा हैं, जिनके अधिवक्ता राजीव कुमार हैं। मामले में ईडी भी एक पक्ष है। ईडी की तरफ से अधिवक्ता एसवी राजू ने पक्ष रखा।
राज्य सरकार ने की थी सुनवाई टालने की मांग
गौरतलब है कि इससे पहले बीते शुक्रवार को भी राज्य सरकार ने झारखंड हाकोर्ट से सुनवाई टालने की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इंकार कर दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार की मांग खारिज करते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा जा सकता है तो हाईकोर्ट में क्यों नहीं। तब राज्य सरकार की तर से दलील दी गई थी कि अधिवक्ता कोरोना पॉजिटिव हैं। ऐसे में हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि अधिवक्ता कोरोना पॉजिटिव हैं तो राज्य सरकार दूसरे अधिवक्ता को शामिल कर सकती है।
राज्य सरकार का ये भी तर्क है कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है और राजनीति से प्रेरित है लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य मानते हुए इसे स्वीकार किया। ऐसे में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को एसएलपी पर सुनवाई
दिलचस्प है कि राज्य सरकार मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया। हालांकि राज्य सरकार ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी जारी कर दी।
बता दें कि बीते 11 फरवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ खनन पट्टा का लीज हासिल करने को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी।
याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा ने याचिका में आरोप लगाया था कि खनन और वन-प्रयावरण विभाग सीएम के पास है। ऐसे में उन्होंने खुद को क्लियरेंस देकर खनन पट्टा का लीज हासिल कर लिया। ये ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला है।
शिवशंकर शर्मा ने मामले में याचिका दाखिल की थी
खनन पट्टा का लीज के अलावा शेल कंपनी मामले में भी शिवशंकर शर्मा ने याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके छोटे भाई तथा दुमका विधायक बसंत सोरेन के अवैध पैसों को खपाने के लिए राजधानी रांची के बिजनेसमैन और झामुमो के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल, तथा रमेश केजरीवाल ने 24 शेल कंपनियां बनाई थीं। याचिकाकर्ता की मांग है कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा पूरे मामले की जांच हो और सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द की जाये।