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JSSC नियमावली : हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, संसोधन के पीछे क्या मंशा थी

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रांची: 
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की संशोधित नियमावली के खिलाफ दाखिल याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रजन और एसएन प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने इससे संबंधित पूरे रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद राज्य सरकार से कई सवाल पूछे। 

27 अप्रैल को होगी मामले की अगली सुनवाई
अदालत ने कहा कि किस आधार पर राज्य सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 10वीं और 12वीं की परीक्षा राज्य के संस्थानों से ही पास करने की शर्त लगाई है और भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखते हुए कहा कि वह स्वयं इस मामले से संबंधित दस्तावेज को देखना चाहेंगे और अधिकारियों के साथ बैठक कर उचित सलाह देंगे। उनकी ओर से इसके लिए समय की मांग की गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

हिंदी और अंग्रेजी को हटाए जाने के पीछे क्या वजह है
प्रार्थी की अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने बताया कि सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि हिंदी और अंग्रेज़ी को हटाए जाने के पीछे क्या वजह है। इसके साथ ही अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि 10वीं और 12वीं की परीक्षा की बाध्यता सिर्फ़ जेनरल केटेगरी के छात्रों के लिए क्यों है। यह संशोधन क्यों है. इसका आधार क्या है।

मौलिक अधिकारों का हनन 
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार अपराजिता भारद्वाज और कुशल कुमार ने अदालत को बताया कि जेएसएससी के संशोधित नियमावली की वजह से अभ्यर्थियों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। वे चयन प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं। मालूम हो कि यह मामला हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि उक्त याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि प्रार्थी की ओर से किसी विज्ञापन को चुनौती नहीं दी गई है, जिसमें वह आवेदन करने का इच्छुक है। 
सरकार के याचिका पर आपत्ति जताए जाने का जवाब देते हुए प्रार्थी के वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, कुमार हर्ष और कुशल कुमार की ओर से बताया गया था कि प्रार्थी मूलत: संबंधित नियमावली की शर्तों से प्रभावित है। बाद में दाखिल पूरक शपथ पत्र में जेएसएससी की ओर से जारी विज्ञापन के संबंध में जानकारी दी गई है।

क्षेत्रीय भाषा की सूची से हिंदी और अंग्रेजी हटाई
बता दें कि प्रार्थी रमेश हांसदा और कुशल कुमार की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से जेएसएससी नियुक्ति के लिए नई संशोधन नियमावली बनाई गई है। नियमावली के अनुसार नियुक्ति के लिए वैसे अभ्यर्थी पात्र हैं, जिन्होंने राज्य के संस्थान से दसवीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो। इसके अलावा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हिंदी और अंग्रेजी को हटा दिया गया है। वहीं, अन्य उर्दू, ओडिय़ा और बांग्ला भाषा को शामिल किया गया है। राज्य के संस्थान से पास होने की अर्हता सिर्फ सामान्य वर्ग के लिए है, जबकि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को इससे छूट प्रदान की गई है।

संविधान की मूल भावना के खिलाफ है नियमावली
याचिका में यह भी कहा गया है कि यह नियमावली संविधान की मूल भावना के विपरीत है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है। वैसे अभ्यर्थी जो राज्य के निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से पढ़ें हो, उन्हें नियुक्ति परीक्षा से नहीं रोका जा सकता है, इसलिए नई नियमावली को निरस्त किया जाए।