द फॉलोअप डेस्कः
आज असम के मुख्यमंत्री सह झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा जामताड़ा में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि ये चुनाव हमारे रोटी, बेटी, माटी को बचाने का चुनाव है। ये चुनाव हमें जीतना ही पड़ेगा। इरफान अंसारी, आलमगीर आलम कोई वजूद नहीं है। ये इरफान अंसारी सीता सोरेन के बारे में अनाप सनाप बात बोलते हैं लेकिन हेमंत सोरेन कुछ नहीं बोलते हैं। क्योंकि ये लोगों ने इरफान अंसारी और आलमगीर के सामने नतमस्तक हो गये हैं। ये लोग चुनाव नहीं जीत सकते हैं। कोई बोलता है कि फुरकान अंसारी जीते हैं, कोई बोलते हैं इरफान अंसारी चुनाव जीते हैं। कैसे जीते हैं। ये हमारा वोट बांट के चुनाव जीते हैं। अगर हमारा समाज एक रहेगा तो क्या इरफान अंसारी चुनाव जीत पाएंगे। ये लोगों को कौन चुनाव जीताता है। हमलोग ही जिताते हैं। हमारा समाज को बांटकर चुनाव जीतते हैं ये लोग।
एक बार अगर हमलोग बटेंगे नहीं। हमलोग एक रहेंगे तो इरफान अंसारी कभी भी यहां से चुनाव नहीं जीतेगा। लेकिन हमारा समाज ही बंट जाता है जिसके कारन ये इऱफान अंसारी और आलमगीर आलम राज करते हैं। अगर हमलोग एक रहेंगे तो किसी मां के लाल में इतनी हिम्मत नहीं है कि रामनवमी का जुलूस रोक जाए। एक बार हमारा समाज को भरोसा हो जाए कि हम भी चुनाव जीत सकते हैं। तो कोई हमें नहीं हरा सकता है। हमलोग एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे। जो इरफान अंसारी को वोट देते हैं तो हम उनको बोलना चाहते हैं कि आप समाज को तोड़ रहे हैं। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि किसी लालच में अगर आप अपना समाज को तोड़ देंगे तो बाद में आपकी बेटी भी सुरक्षित नहीं रहेगा। मेरी बात लिख लीजिए। जो लोग इरफान अंसारी को वोट देंगे ना तो कल अगर आपकी बेटी को उठा ले जाते हैं ना तो कभी ये लोग आपकी मदद नहीं करेंगे। अगर आपकी बेटी को ये लोग के रिश्तेदार उठा कर ले जाते हैं तो ये लोग अपने रिश्तेदार की मदद करेंगे। इसलिए इरफान अंसारी को वोट देने से पहले सोच ले कि हमारे घऱ में भी बेटी है। किसी को डरना नहीं है। हमारा समाज एक रहना चाहिए। अगर आप एक रहेंगे तो इरफान अंसारी आलमगीर आलम हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि जामताड़ा में इस बार जो चुनाव है वो चुनाव सीता सोरेन और इरफान अंसारी के बीच में नहीं है। ये चुनाव हमारे अस्मिता का लड़ाई है। हमारे संस्कृति को रक्षा करने के लिए हमें मंथन करना पढ़ेगा। मैं पेपर में पढ़ा था कि झारखंड में पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा जैसा कोई इलाका में हमारा जो स्कूल है ये स्कूल शुक्रवार के दिन बंद किए जाते हैं। मैंने पेपर में पढ़ा था कि कैसे संथाल परगनाम में स्कूल शुक्रवार को बंद किया जाता है। क्योंकि उस दिन नमाज पढ़े जाते हैं। मैं पूछना चाहूंगा हमारे भारत का जब संविधान बना तो उसको हिंदू लोगों ने ही बनाया। हमलोग इसको हिंदू राष्ट्र भी बना सकते थे। लेकिन हमारे बुजुर्गों ने सोचा कि यह देश धर्म निरपेक्ष बनेगा। और इसलिए हर रविवार को पूरा देश में स्कूल कॉलेज बंद रहता है। लेकिन हमारे झारखंड में कई जिलों में शुक्रावार को स्कूल बंद किया गया। और वो लोग के लिए शुक्रवार को स्कूल बंद किए जाते हैं तो हमारे लिए भी मंगलवार को स्कूल बंद होना चाहिए। हम भी हनुमान जी की पूजा करेंगे।
ये देश इरफान अंसारी के इशारे पर चलेगा, आलमगीर आलम के इशारे पर चलेगा कि बजरंग की आदर्श पर चलेगा। झारखंड आलमगीर आलम और इरफान अंसारी अपना हिसाब से चलाने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने पढ़ा था कि विधानसभा में नमाज कक्ष बनाया गया। हमारे लोगों ने प्रोटेस्ट किया। हो नहीं पाया लेकिन सरकार ने प्रस्ताव किया था कि झारखंड विधानसभा में नमाज के लिए व्यवस्था किया जाए। मुझे नमाज से आपत्ति नहीं है कि लेकिन फिर हनुमान चालिसा के लिए भी व्यवस्था करनी चाहिए। आज झारखंड में रामनवमी निकालने के लिए जुलूस नहीं निकालने देती है पुलिस, हमारे दुर्गा मां का मंदिर में जो पूजा होते हैं मूर्ति को विसर्जन करने के लिए अनुमति नहीं मिलती है लेकिन मोहर्रम का जुलूस कभी बंद नहीं हुआ है। मोहर्रम का जुलूस निकले हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन रामनवमी का भी जुलूस निकलेगा। औरंगजेब का शासन में देश में देखा गया है। बाबर का शासन भी देखा गया है। वो समय में भी रामनवमी के जुलूस में किसी ने बाधा नहीं पहुंचाया था। लेकिन ये इरफान अंसारी और आलमगीर आलम औरंगजेब और बाबर से भी ज्यादा नीचा गिरे हुए हैं।