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हैप्पी होली : सरना धाम में धूमधाम से मनाई जाती है होली, 25 वर्षों से जीवित है परंपरा

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गोपी कुमार सिंह, लातेहार: 
 
होली पर्व को लेकर चहुंओर खुशी का माहौल है। होली को लेकर लोगों मे खासा उत्साह नजर आ रहा है। लोग अपने-अपने तरीके से होली मनाने की तैयारी में जुटे हुए है। इधर लातेहार जिले के गारू प्रखंड अंतर्गत बारेसाढ़ के डाडकोचा स्थित सरना धाम में होली की तैयारी को लेकर आश्रम के बच्चे तैयारी में जुटे हुए है। बच्चों ने मंदिर की साफ-सफाई की। 

बीते 25 वर्षों से धूमधाम से मनाई जाती है होली
इस संबंध में जानकारी देते हुए आश्रम के कार्यकर्ता सुभाष सिंह ने बताया कि पिछले 25 वर्षों से आश्रम में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर साल की भांति इस साल भी गुरुवार की रात 12 बजे होलिका दहन का कार्यक्रम रखा गया है। सुभाष सिंह ने बताया कि सरना धाम में छत्तीसगढ़ व झारखंड के गुमला, लोहरदगा,पलामू व गढ़वा जिले से हजारों अनुयायी प्रत्येक सनातन पर्व-त्यौहार में धाम में पूजा-अर्चना के लिये आते हैं। 

यदि आश्रम तक सड़क बन जाती तो अच्छा रहता! 
बातचीत के दरम्यान सुभाष सिंह ने यहां सड़क की समस्या का मसला भी उठाया। कहा कि आश्रम तक पहुंचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-9 को छोड़कर 3 किमी का अतिरिक्त सफर तय करना होता है। सड़क काफी जर्जर हालत में है जिसकी वजह से परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि शिवरात्रि, छठ तथा होली में जब सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आश्रम में आते हैं तो पूरे रास्ते में केवल धूल ही धूल नजर आती है। उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर आश्रम तक अच्छी सड़क बन जाए तो ये सोने पर सुहागा साबित होगा। उन्होंने सरकार से इसकी मांग की। 

पुरानी पंरपरा को जीवित रखता है ये आश्रम
गौरतलब है कि सरना धाम का नाम सेवा, सद्भावना, समर्पण तथा संस्कार के पर्याय के रूप में विख्यात हो चुका है। बदलते वक्त में जहां आधुनिकता के नाम पर पश्चिमी सभ्यता हावी है। सद्भवना की जगह कुसंस्कार और अश्लीलता ने ली है तब होली में सरना धाम समाज को आईना दिखाता है। यहां महिलायें और पुरुष पारंपरिक धोती, कुर्ता और साड़ी पहनकर, ढोलक, झाल, मृदंग बजाकर एक-दूसरे को अबीर और गुलाल लगाते हैं। ब्रज की धून पर होली मनती है। 

आश्रम में सांप्रदायिक सौहार्द से मनती है होली
कई बार पर्व-त्योहार में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की खबरें आती हैं। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने पड़ते हैं। इस बार तो होली और शबे बारात एक ही दिन पड़ता है। ऐसे में तनाव की संभावना दोगुनी हो जाती है लेकिन धाम के पास का माहौल अलग है। यहां समुदाय विशेष के लोग पूजा सामग्री और श्रृंगार का सामान बेचते हैं। इससे ये तथ्य प्रमाणित होता है कि होली सादगी, सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक है। 

गुरु-शिष्य परंपरा के मुताबिक दी जाती है शिक्षा
बता दें कि सरना धाम की नींव रखने वाले स्वर्गीय नागेश्वर बाबा के द्वारा यहां अनाथालय की भी स्थापना की गई थी। वर्षों से ये अनाथालय मानस मणि दीप सेवा संस्थान के नाम से संचालित होता है। नागेश्वर बाबा के निधन के बाद से अनाथालय के संचालन का जिम्मा उनेक बेटे सुभाष सिंह संभाल रहे हैं। यहां बच्चों को गुरु-शिष्य परंपरा के मुताबिक शिक्षा दी जाती है।

बच्चों के भोजन की व्यवस्था करने के लिए मुठिया दान की व्यवस्था है। आश्रम में बच्चों को कृषि, कला, धर्मशास्त्र और संगीत सहित विभिन्न विषयों की शिक्षा दी जाती है। यहां का माहौल काफी सुखद है।