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केंद्र सरकार HEC को झारखंड सरकार को सौंप दे तो हम इसे संवारेंगेः हेमंत सोरेन

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द फॉलोअप डेस्कः 
आज पीजीटी शिक्षक नियुक्त पत्र वितरण समारोह में सीएम हेमंत ने शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा। इस दौरान उन्होंने कहा कि आपलोग काफी उम्मीदों के साथ लंबे समय से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। आखिरकार यह महत्वपूर्ण दिन आपके लिए और सरकार आया। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आज शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। वैसे तो हमने हजारों नियुक्ति दी है। 20 हजार से ज्यादा नियुक्ति हमने पहले ही दे दिया था। अलग-अलग आयोजनों के माध्यम से संगठित असंगठित क्षेत्रों में 60 हजार नियुक्ति दिया। हमने कई ऐसे नौजवानों को नियुक्ति पत्र दिया है जो आज विदेशों में अपना कर रहे हैं। हमने बस एक रास्ता दिखाया। उसके बाद जीवनकाल में वो नौजवान मजबूती से जी रहे हैं। 
हमने बाकि राज्यों को भी ऑक्सीजन दिया
2019 में हमारी सरकार बनी और कोरोना काल आ गया। फिर भी हमलोगों ने हार नहीं मानी। रात दिन हमलोग सजग रहे। और आपलोगों ने देखा कि देश के अलग अलग राज्यों में कई घटनाएं हुई। वह डरावना पल था। आज कोरोना के उस दंश जो देश ने झेला उसका प्रभाव आज तक है। अलग अलग माध्यमों से। ऐसी घटना घटी उस कोविड में कि दुनिया रुक सी गई थी। आगे जो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो ट्रेन 160 की स्पीड में चल रही हो और उसपर ब्रेक लगा दिया जाए तो क्या होगा। यही हाल कोरोना ने किया था। रोजगार बंद हो गये। मजदूर किस तरह से फंसे थे। वो दर्दनाक दृश्य थी। महिलाए सड़क में बच्चों को जन्म दे रही थी। कोई पूछने वाला नहीं था। उस वक्त भी झारखंड में हमने अफरा तफरी नहीं होने दिया। हमारे इस राज्य से पूरे देश को ऑक्सीजन दिया। 


कोरोना के बाद विरोधियों ने परेशान किया
2 साल के बाद जीवन सामान्य हुआ तो हमारे विरोधियों ने अपनी हरकतें शुरू कर दी। अलग अलग माध्यमों से मुझे आए दिन काम करने से रोकने का प्रयास हुआ। लेकिन हम रुके नहीं क्योंकि मुझे अपने लक्ष्य तक पहुंचना था। लेकिन हमारे विपक्ष इतने सुनियोजित ढंग से घात लगाकर षडयंत्र रचते हैं कि हमलोग जैसे झारखंडी लोग, आदिवासी लोग इनके षडयंत्र को कभी कभी समझ पाने में पीछे हो जाते हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि मुझे 5 महीने जेल में रहना पड़ा। हमें उनसे ना कभी डर लगा था ना कभी लगेगा। हम अपने काम को अंजाम तक कैसे पहुंचाना है ये भी जानते हैं और इनसे लोहा लेना भी जानते हैं। आप आश्वस्त रहे कि आपके लिए और आने वाली पीढि़यों के लिए हमारा वो सोच नहीं है, वो नीति नहीं है कि इस राज्य के नौजवानों के हक अधिकार को छीन लो। 

आज हमारे विपक्ष के सरकारें देश में क्या व्यवस्था ला रही है। हर एक चीज निजीकरण की ओर जा रही है। कॉरपोरेट की ओर सब कुछ जा रही है। नतीजा नौकरियां खत्म। आप शिक्षक है आप तुलना करिएगा कि देश के बड़े-बड़े उद्योगों ने देश के खजानों के पैसे में किसने सबसे अधिक दिया और किसने सबसे अधिक रोजगार दिया तो आपको स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि जिसने सबसे अधिक पैसा लिया है उसने सबसे कम रोजगार दिया। आज इनकी नीतियों से कई ऐसे छोटे मझोले उद्योग है जो कोरोना में बंद हुई और जो सरकार की नीतियां बनीं कि आज तक वो खुल ही नहीं सके। और जो उसमें 100 से 50 लोग काम कर रहे थे वो आज के दिन में भी रोजगार की तलाश में दर दर भटक रहे हैं। 


एचईसी हमें दे दे सरकार तो हम सवारेंगे
एचईसी वो उद्योग है जिसको उद्योगों की जननी कहा जाता है। लेकिन आज इसकी हालत क्या है देखिए। जिस समय यह उद्योग बना था उस समय 25 से 30 हजार लोग काम करते थे।  लेकिन आज की स्थिती है कि 10-11 हजार लोग भी है  कि नहीं। और उनको भी कितना महीना में सैलरी मिलता है। इस उद्योग को बचाने का काम किसका है इस उद्योग को बचाने का काम राज्या सरकार का नहीं है। यह हमारी क्षमता के बाहर का है। लेकिन हां अगल केंद्र सरकार इसको राज्य सरकार को सुपुर्द कर दे तो एचईसी में जिस तरह से 32 हजार लोग काम करते है उतना लोग फिर से रोजगार करते दिखेंगे। सारे एयरपोर्ट बिक गये रेल बिक गया बंदरगाह बिक गया। अर्थव्यवस्था का ये हालत है कि आज डॉलर के मुकाबने हमलोग का रूपया का हालत है। रुपया अब सर के बल खड़ा होगा। मैं नहीं एक विद्वान का एक वाक्य है। चाणक्या ने कहा था जिस देश का राजा व्यपारी होगा उस देश की प्रजा हमेशा भिखारी होगी। आज देश की स्थिती वही है। 


मैं चुनौती देता हूं कि आकर मुझसे डिबेट करें
ऐसे कानून लाना कि यहां पिछड़ा, गरीबी, गुरबा, अदिवासी अल्पसंख्यक शिक्षत नौजवानों के लिए सारे उद्योग बंद कर दो। नौजवान सड़क पर धरना प्रदर्शन करते हैं। लेकिन इनके कान में जू नहीं रेंगता। इसकी भार राज्य सरकारों पर पड़ती है। हमने प्रयास किया कि यहां के नौजवानों को अधिक से अधिक रोजगार, नौकरी दिया। हमसे अधिक तो इनलोगों ने इस राज्य में राज किया। और मैं चुनौती देता हूं कि इसी प्रभात तारा मैदान में हमसे डिबेट कर ले  कि इन लोगों ने इतने वर्षों में क्या किया है। और हमने इन चुनौती भरे पांच साल में क्या किया है। हम हिसाब देने के लिए तैयार हैं। इतने बड़े बड़े षडयंत्र रचने के बाद आखिरकार न्यायलय का जो आदेश आया है उससे उनको मुंह की खानी पड़ी। लेकिन ये अब भी शांत नहीं है। इनके आचरण में ही नहीं है। हम भी अपने आचरणों से बाज नहीं आएंगे। 


हमने शिक्षा पर जोर दिया 
जिस राज्य को मजदूर प्रदेश के रूप में जाना जाता रहा। ये तो हमारे कुछ मिशन भाईयों के बदौलत कुछ संस्थाएं बनी। उनकी वजह से कुछ लोग पढ़ लिख पाए। हमने सरकार बनने के बाद शिक्षा के दिशा में काफी आगे बढ़ने का प्रयास किया। आपने देखा कि हमलोगों ने पहले चरण में स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाकर दिया ताकि हमारे बच्चे भी प्राइवेट स्कूल की शिक्षा ले सके। अभी और भी स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनेगा। उसमें और भी शिक्षक भर्ती होंगे। पहले हमने बच्चों को एक्सीलेंट स्कूल दिया और  आज हम एक्सीलेंट टीचर दे रहे हैं। हम आपलोगों से यही उम्मीद करेंगे कि आपसे यही उम्मीद है कि हम आने वाली पीढ़ी को इस तरह से तैयार करें कि उनका रिजल्ट एक्सलेंट हों. बहुत सारी कमियां हैं, बहुत सारी अच्छाइयां भी हैं. हमने छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना, बुजुर्गों के लिए पेंशन योजना की शुरुआत की, ताकि उनको जीवन में मुश्किल हालात का सामना न करना पड़े. बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें, इसके लिए गुरुजी क्रेडिट कार्ड की शुरुआत करने जा रहे हैं। 

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