सूरज ठाकुर
हम चुनाव हारे हैं, हमने मैदान नहीं छोड़ा। डुमरी उपचुनाव के नतीजों के बाद प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की पहली प्रतिक्रिया यही थी। डुमरी में एनडीए की पराजय के बाद राजनीतिक हलकों में भले ही बाबूलाल मरांडी के पहली ही परीक्षा में फेल होने की चर्चा जोरों पर हो लेकिन 15 जुलाई को झारखंड बीजेपी की कमान संभालने के बाद बाबूलाल मरांडी की गतिविधियों पर गौर फऱमाएं तो समझ पाएंगे कि डुमरी के नतीजों पर उन्होंने जो कहा उसके मायने क्या हैं। डुमरी से पहले और डुमरी के बाद भी बाबूलाल, मिशन 2024 को लेकर मैदान-ए-जंग में हैं।
झारखंड में वापसी के लिए दिल्ली से मिला टास्क
दरअसल, 2024 में झारखंड की सत्ता में एनडीए की वापसी और प्रदेश की सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत का जो टास्क दिल्ली ने बाबूलाल मरांडी को सौंपा है, उसे पूरा करने का इरादा लिए बाबूलाल संकल्प यात्रा पर निकले हैं। संकल्प की झारखंड में बीजेपी का बनवास खत्म हो। संकल्प कि डबल इंजन की सरकार का जो नारा है इसे झारखंड में भी चरितार्थ किया जा सके। संकल्प कि इस समय झारखंड की सत्ता पर काबिज इंडिया गठबंधन को आगामी चुनावी दंगल में पटखनी दी जा सके। संकल्प कि झारखंड में एनडीए की सरकार बने।
17 अगस्त को शुरू हुई थी बाबूलाल मरांडी की यात्रा
संकल्प यात्रा की शुरुआत 17 अगस्त को हूल क्रांति के नायक सिद्धो-कान्हू की धरती भोगनाडीह से हुई और बीते 23 दिनों में बाबूलाल 29 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं। इन 29 विधानसभा क्षेत्रों में बाबूलाल मरांडी ने हर वो काम किया जिसके जरिए प्रदेश की जनता से सीधा संवाद किया जा सके। बाबूलाल मरांडी ने जनसभाएं की। ग्रामीण इलाकों में चौपाल लगाई। जहां जरूरत थी वहां पदयात्रा की और रोड शो भी किया। इस दौरान बाबूलाल मरांडी प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार पर लगातार हमलावर रहे।
झामुमो के गढ़ भोगनाडीह से शुरू हुई थी यात्रा
बाबूलाल मरांडी का संकल्प यात्रा के लिए भोगनाडीह को चुनना यूं ही नहीं था। दरअसल, संताल परगना के साहिबगंज जिला में बरहेट विधानसभा सीट से प्रदेश के मुखिया हेमंत सोरेन विधायक हैं। इसी बरहेट में भोगनाडीह है। भोगनाडीह ना केवल ऐतिहासिक बल्कि राजनीतिक तौर पर भी झारखंड की सियासत में हमेशा अहम रहा है। प्रदेश की राजनीति में यह किवंदती चलती है कि बरहेट की जनता वोटिंग के समय केवल तीर-धनुष देखती है। ऐसे में बाबूलाल ने तय किया कि क्यों ना झारखंड मुक्ति मोर्चा को उनके सबसे मजबूत गढ़ में ही चुनौती दी जाए। सीधे, मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से संकल्प यात्रा की शुरुआत कर बाबूलाल मरांडी ने यह भी संकेत दिया है कि यदि भविष्य में यहां डबल इंजन की सरकार बनी तो पायलट वही बनेंगे।
संकल्प यात्रा में जनसभाओं में उमड़ रही है भीड़
भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्साह की बात यह भी है कि बाबूलाल मरांडी की संकल्प यात्रा में भारी भीड़ जुट रही है। भोगनाडीह हो, बगोदर हो, बरकट्ठा हो, शिकारीपाड़ा हो या दुमका। इधर, जमुआ, बरही, राजधनवार सहित अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी बाबूलाल मरांडी की सभाओं में भारी भीड़ जुटी। यह भीड़ आगे वोटों में तब्दील होगी या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता लेकिन फिलहाल बीजेपी इसे पॉजिटिव तरीके से स्वीकार कर सकती है। समर्थन का पहला पैमाना तो यही है।
अब तक 29 विधानसभा सीटों की यात्रा हुई है पूरी
17 अगस्त को भोगनडीह से शुरू हुई बाबूलाल मरांडी की संकल्प यात्रा अब तक तकरीबन 1 दर्जन जिलों की 29 विधानसभा सीटों का सफर तय कर चुकी है। इस दौरान बाबूलाल मरांडी ने हर उस मुद्दे पर मुखरता से बात की जिससे सरकार और मुख्यमंत्री को असहज किया जा सके। बाबूलाल मरांडी ने मनरेगा घोटाला, जमीन घोटाला और खनन घोटाला को लेकर जारी ईडी और सीबीआई की जांच, प्रदेश में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, बेरोजगारी और बुनियादी सुविधाओं की कमी का मामला जनता के बीच जोर-शोर से उठाया। बाबूलाल मरांडी खासतौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर हमलावर रहे हैं। खनन और जमीन घोटाला केस में सीएम को ईडी के समन पर बाबूलाल मरांडी ने खूब तंज किया। तथ्यों के साथ अपनी बातें रखी।
संकल्प यात्रा के साथ चलती रहेगी सियासी खींचतान
डुमरी के नतीजों पर यह कहना कि वहां भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं बना, शायद जल्दीबाजी होगी क्योंकि आम चुनावों में अभी 1 साल का समय बचा और और संकल्प यात्रा भी अभी अधूरी ही है। संकल्प यात्रा का चौथा चरण शुरू हो चुका है। यात्रा आगे भी जारी रहेगी। बाबूलाल ऐसे ही मुद्दों पर मुखर रहेंगे। सत्तापक्ष का हमला भी जारी रहेगा। आरोप-प्रत्यारोप, राजनीतिक बयानबाजी और सियासी खींचतान चलता रहेगा। देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश में बीजेपी की यात्रा संकल्प तक ही रहेगी या ये सत्ता में वापसी के रूप में पूरा भी होगा। आपको क्या लगता है।