द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड में फर्जी डिग्री और सर्टिफिकेट बनाने वाले गिरोह का भड़ाफोड़ हुआ है। बताया जा रहा है कि यह गिरोह कॉलेज के डिग्री सर्टिफिकेट से लेकर किसी कंपनी के एक्सपीरियंस लेटर तक हर दस्तावेज बनाने में माहिर था। मानगो गोलचक्कर के समीप 15 साल पहले पुरी जेरॉक्स सेंटर का संचालक मंजर आलम स्टूडेंट्स के सर्टिफिकेट्स की फोटोकॉपी करते-करते फर्जी सर्टिफिकेट बनाने लगा। जेरॉक्स दुकान चलाने के साथ-साथ वह युवाओं का बायोडाटा बनाता था। फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का काम तब शुरू किया, जब उसने देखा गल्फ कंट्री जाने वाले युवा तकनीकी प्रमाण पत्र बनाने के लिए काफी परेशान रहते हैं। इसके बाद वह फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के धंधे में लग गया।
पिछले 5-6 साल के दौरान मंजर आलम ने 50 हजार से अधिक एमबीबीएस, बीटेक एमटेक, आईटीआई, नर्सिंग, पारा मेडिकल, बीएड, एमएड,मैट्रिक, इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र बनाए हैं। यह कहना है धालभूम एसडीओ पारूल सिंह और आजादनगर थानेदार राजीव रंजन का। इस मामले कई कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। आजादनगर थानाक्षेत्र के जाकिरनगर रोड नंबर 17 ग्रीन वैली गली में तेजाब नाला के समीप मंजर आलम का 2 मंजिला मकान है। एसडीएम ने अपनी टीम के साथ मंजर आलम के घर में छापेमारी की। वहां से टीम ने कई सर्टिफिकेट, कंप्यूटर और प्रिंटर जब्त किया। इस दौरान उन्होंने आजादनगर पुलिस को इसकी सूचना दे दी। सूचना पाकर थाना प्रभारी राकेश कुमार वहां पहुंचे और मंजर आलम और उसके पास सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे एक अन्य व्यक्ति को हिरासत में ले लिया।
एसडीएम पारुल सिंह ने बताया कि मंजर आलम के घर की तलाशी के दौरान कई तैयार फर्जी सर्टिफिकेट बरामद किए गए हैं। इनमें झारखंड एकेडमिक काउंसिल, वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी समेत अन्य यूनिवर्सिटी के सर्टिफिकेट शामिल हैं। इसके अलावा कई कंपनियों के एक्सपीरिएंस सर्टिफिकेट भी बरामद किए गए हैं, जिसकी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि तीन-चार हजार में ग्रेजुएशन के सर्टिफिकेट बन जाते थे, जबकि 10 हजार में इंजीनियरिंग की डिग्री मिल जाती थी। पुलिस मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है, ताकि अन्य लोग जो इसमें शामिल हैं, सभी पकड़े जाएं। बताया जाता है कि इस गिरोह में और भी लोग हैं। उनकी पहचान और तलाश की जा रही है।